''नील परिधान बीच सुकुमार
खुल रहा मृदुल अधखुला अंग''
उत्तर :- उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार :- जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए। अथार्त जहाँ पर अप्रस्तुत को प्रस्तुत मान लिया जाए वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इस अलंकार में मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि शब्द आते हैं।
व्याख्या: श्रद्धा ने अपने शरीर पर नीले रंग का वस्त्र धारण किया है। नीले वस्त्र में अधखुला सुकुमार व कोमल अंग (उरोज) दिख रहा है। नील वस्त्रों में से झलकती-दमकती हुई मादक अंगों की आभा देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मनो, बादलों के मध्य से गुलाबी रंग की आभा वाली बिजली का फूल खिल गया हो। काले बालों की पृष्ठभूमि में दमकते हुए गोरे रंग वाले मुखमण्डल पर सुंदरता उद्दीपत हो रही हो। देखकर ऐसा लगता है, पश्चिम के आकाश में घिरे हुए बादलों को भेदता हुआ लाल सूर्यमण्डल दिखाई देता हुआ अत्यंत मनमोहक लग रहा है। भाव यह है कि काले बाल बादलों जैसे और दमकता हुआ चेहरा सूरज की भांति दिख रहा है।
Good
ReplyDeleteKhoob
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