"कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय, वा खाए बौरात, नर या पाए बौराय" इन पंक्तियों में कौन सा अलंकार है一
- उपमा अलंकार
- यमक अलंकार
- अनुप्रास अलंकार
- श्लेष अलंकार
उत्तर- यमक अलंकार
"कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, वा खाये बौराये नर, वा पाए बौराये |"
यहाँ पहले कनक का मतलब है "धतूरा" जो की एक मादक/नशीला पदार्थ है |
दूसरे कनक का मतलब है "सोना" (gold) |
भावार्थ- सोने की मादकता धतूरे से भी सौ गुनी ज्यादा है. धतूरे को खाने पर लोग बौराते हैं (मतलब नशे में आ जाते हैं ) परन्तु सोने को पाने मात्र से लोग बौरा जाते हैं |
यह यमक अलंकार का उदाहरण है |
यमक अलंकार - इसमें अलग अलग जगहों में प्रयुक्त एक ही शब्द के अलग अलग भावार्थ होते हैं |
जैसे: "काली घटा का घमंड घटा |"
भावार्थ - काले बादल हट/छँट गए |
यहाँ घटा दो जगह प्रयुक्त हुआ है परन्तु दोनों जगह उसके अर्थ भिन्न हैं | पहली "घटा" का अर्थ है "बादल" एवं दूसरी घटा का भावार्थ है "कम होना" |
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Ye antyanuprash alankar kyu nahi h??? Yaha last me तुक समान है
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteVery excellent post 🙏🏻🙏🏻
ReplyDelete🕉 राधे राधे 🕉