वीर रस के उदहारण
चढ़ चेतक पर तलवार उठा करता था भूतल पानी कोराणा प्रताप सर काट-काट करता था सफल जवानी को
बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थीखूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी
मानव समाज में अरुण पड़ा जल जंतु बीच हो वरुण पड़ाइस तरह भभकता राजा था, मन सर्पों में गरुण पड़ा
क्रुद्ध दशानन बीस भुजानि सो लै कपि रिद्द अनी सर बट्ठतलच्छन तच्छन रक्त किये, दृग लच्छ विपच्छन के सिर कट्टत
माता ऐसा बेटा जानियेकै शूरा कै भक्त कहाय
हम मानव को मुक्त करेंगे, यही विधान हमारा हैभारत वर्ष हमारा है,यह हिंदुस्तान हमारा है
सामने टिकते नहीं वनराज, पर्वत डोलते हैं,
कौतता है कुण्डली मारे समय का व्याल
मेरी बाँह में मारुत, गरुण, गजराज का बल है