Who first said Mahatma Gandhi to Bapu?
महात्मा गांधी को पहली बार बापू किसने कहा ?
Answer -
सबसे पहले राजकुमार शुक्ला ने महात्मा गांधी को बापू कहा था
महात्मा गाँधी जी को बापू का नाम चंपारण में मिला था। गांधी को सबसे पहले बापू कहकर पुकारनेवाले थे इसी चंपारण के एक आम व्यक्ति जिनकी चिट्ठी ने बापू को चंपारण आने पर मजबूर कर दिया था। उस गुमनाम किसान को आज दुनिया राजकुमार शुक्ल ।
1914 में गोरों द्वारा किसानों के ऊपर किया जाने वाला जुल्म इस कदर बढ़ गया की राजकुमार शुक्ल ने इसका उपाय ढूंढने की ठान ली, इसके बाद ही उन्होंने गाँधी जी को चंपारण आने का न्योता दिया।बात उस समय की है जब राजकुमार शुक्ल ने 27 फरवरी 1917 को गाँधी जी के नाम एक पत्र लिखा। उस पत्र में चंपारण के किसानों पर अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे जुल्म के बारे में बताया गया था. असल में उन्हें यह यकीन था कि किसानों की दुर्दशा का हल गाँधी जी के पास अवश्य होगा।
15 अप्रैल 1917 को महात्मा गाँधी बिहार के चंपारण में आये। चंपारण आकर गाँधी जी ने किसानों की दुर्दशा देखी और उन्हें इंसाफ दिलाने का प्रण लिया। यहीं से उन्होंने चंपारण सत्याग्रह आंदोलन के लिए बिगुल बजाकर अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का ऐलान किया। इस कदम से झल्लाए अंग्रेजों ने उन्हें फौरन चंपारण से लौट जाने का आदेश भिजवाया।लेकिन गाँधी जी पर इसका कोई असर नहीं हुआ और चंपारण से वापस नहीं लौटने पर अंग्रेजों ने उनके खिलाफ कदम उठाया।
-4 जून 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने सिंगापुर रेडियो से एक संदेश प्रसारित करते हुए महात्मा गांधी को ‘देश का पिता’ (राष्ट्रपिता) कहकर संबोधित किया।
-महात्मा गांधी को किसने पहली बार राष्ट्रपिता कहा, इसको लेकर कुछ ऐतिहासिक तथ्य बताए जाते हैं. 12 अप्रैल 1919 को रविंद्र नाथ टैगोर ने गांधीजी को एक पत्र लिखा था. उस पत्र में उन्होंने गांधीजी को महात्मा कहकर संबोधित किया था. तबसे उनके नाम के साथ महात्मा शब्द जुड़ गया.
इसी तरह से महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने देश का पिता कहकर संबोधित किया था. 6 जुलाई 1944 को सिंगापुर रेडियो से संबोधित करते हुए सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार बापू को राष्ट्रपिता कहा था.
सिंगापुर के आजाद हिंद रेडियो से बोलते हुए सुभाषचंद्र बोस ने कहा था- 'हम अपनी कोशिशों की बदौलत अगर स्वतंत्रता हासिल करते हैं तो हमसे ज्यादा खुश कोई नहीं होगा. ब्रिटिश सरकार पर आपके भारत छोड़ो आंदोलन का असर पड़ा है. हम इस धारणा पर आगे बढ़ रहे हैं कि बिना संघर्ष के दोनों मे से कोई भी कार्य संभव नहीं था. भारत की मुक्ति के लिए इस पवित्र युद्ध में हमारे राष्ट्रपिता, हम आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएं मांगते हैं.’
इसके बाद 28 अप्रैल 1947 को हुए एक कॉन्फ्रेंस में सरोजिनी नायडू ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया. गांधीजी के देहांत के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रेडियो के जरिए दिए संदेश में कहा था कि राष्ट्रपिता अब नहीं रहे.
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