07.विशेषण- (Visheshan )-Adjective
विशेषण
विशेषण की परिभाषा :-
संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण आदि) बताने वाले शब्द ‘विशेषण’ कहलाते हैं।
या
विशेषण एक ऐसा विकारी शब्द है, जो हर हालत में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।
सरल शब्दों में- जो शब्द संज्ञा के अर्थ की सीमा को निर्धारित करे, उसे विशेषण कहते हैं।
जैसे- यह भूरी गाय है, आम खट्टे है।
उपयुक्त वाक्यों में 'भूरी' और 'खट्टे' शब्द गाय और आम (संज्ञा )की विशेषता बता रहे है। इसलिए ये शब्द विशेषण है।
कुछ और विशेषण के उदाहरण है - बड़ा, काला, लंबा, दयालु, भारी, सुन्दर, कायर, टेढ़ा-मेढ़ा, एक, दो आदि।
विशेष्य :- जिस संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की विशेषता बताई जाए वह विशेष्य कहलाता है।
यथा- गीता सुन्दर है। इसमें ‘सुन्दर’ विशेषण है और ‘गीता’ विशेष्य है। विशेषण शब्द विशेष्य से पूर्व भी आते हैं और उसके बाद भी।
प्रविशेषण- जो शब्द विशेषण की विशेषता बताते है, वे प्रविशेषण कहलाते है।
जैसे-
यह लड़की बहुत अच्छी है।
मै पूर्ण स्वस्थ हुँ।
उपर्युक्त वाक्य में 'बहुत' 'पूर्ण' शब्द 'अच्छी' तथा 'स्वस्थ' (विशेषण )की विशेषता बता रहे है, इसलिए ये शब्द प्रविशेषण है।
विशेषण के भेद
विशेषण के मुख्यतः आठ भेद होते हैं :-
01. गुणवाचक विशेषण
02. संख्यावाचक विशेषण
03. परिमाणवाचक विशेषण
04 . सार्वनामिक विशेषण
05. व्यक्तिवाचक विशेषण
06. प्रश्नवाचक विशेषण
07. तुलनबोधक विशेषण
08. सम्बन्धवाचक विशेषण
1. गुणवाचक विशेषण :- जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के गुण – दोष का बोध हो वे गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे :-
भाव- अच्छा, बुरा, कायर, वीर, डरपोक आदि।
समय- अगला, पिछला, दोपहर, संध्या, सवेरा आदि।
गुण- भला, उचित, अच्छा, ईमानदार, सरल, विनम्र, बुद्धिमानी, सच्चा, दानी, न्यायी, सीधा, बुरा, सुन्दर, मीठा, खट्टा,शान्त ,झूठ, आदि।
दोष - बुरा, अनुचित, झूठा, क्रूर, कठोर, घमंडी, बेईमान, पापी, दुष्ट आदि।
रूप/रंग- लाल, पीला, नीला, हरा, सफेद, काला, बैंगनी, सुनहरा, चमकीला, धुँधला, फीका।
आकार- गोल, चौकोर, सुडौल, समान, पीला, सुन्दर, नुकीला, लम्बा, चौड़ा, सीधा, तिरछा, बड़ा, छोटा, चपटा, ऊँचा, मोटा, पतला आदि।
स्वाद- मीठा, कड़वा, नमकीन, तीखा, खट्टा, सुगंधित आदि।
दशा/अवस्था- दुबला, पतला, मोटा, भारी, पिघला, गाढ़ा, गीला, सूखा, घना, गरीब, उद्यमी, पालतू, रोगी, स्वस्थ, कमजोर, हल्का, बूढ़ा , पिघला, भारी, अमीर, आदि।
स्थान- उजाड़, चौरस, भीतरी, बाहरी, उपरी, सतही, पूरबी, पछियाँ, दायाँ, बायाँ, स्थानीय, देशीय, क्षेत्रीय, असमी, पंजाबी, अमेरिकी, भारतीय, विदेशी, ग्रामीण , जापानी, पुराना, ताजा, आगामी आदि।
काल- नया, पुराना, ताजा, भूत, वर्तमान, भविष्य, प्राचीन, अगला, पिछला, मौसमी, आगामी, टिकाऊ, नवीन, सायंकालीन, आधुनिक, वार्षिक, मासिक आदि।
स्थिति/दिशा- निचला, ऊपरी, उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी आदि।
स्पर्श- मुलायम, सख्त, ठंड, गर्म, कोमल, ख़ुरदरा आदि।
स्वभाव- चिड़चिड़ा, मिलनसार आदि।
गंध- सुगंधित, दुर्गंधपूर्ण आदि।
व्यवसाय- व्यापारी, औद्योगिक, शौक्षणिक, प्राविधिक आदि।
पदार्थ- सूती, रेशमी, ऊनी, कागजी, फौलादी, लौह आदि।
समय- अगला, पिछला, बौद्धकालीन, प्रागैतिहासिक, नजदीकी आदि।
तापमान- ठंडा, गरम, कुनकुना आदि।
ध्वनि- मधुर, कर्कश आदि।
भार- हल्का, भारी आदि।
द्रष्टव्य- गुणवाचक विशेषणों में 'सा' सादृश्यवाचक पद जोड़कर गुणों को कम भी किया जाता है। जैसे- बड़ा-सा, ऊँची-सी, पीला-सा, छोटी-सी।
2. संख्यावाचक विशेषण:- वे विशेषण शब्द जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की संख्या का बोध कराते हैं, संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
या
वह विशेषण, जो अपने विशेष्यों की निश्चित या अनिश्चित संख्याओं का बोध कराए, 'संख्यावाचक विशेषण' कहलाता है।
जैसे-
-'पाँच' घोड़े दौड़ते हैं।
-सात विद्यार्थी पढ़ते हैं।
इन वाक्यों में 'पाँच' और 'सात' संख्यावाचक विशेषण हैं, क्योंकि इनसे 'घोड़े' और 'विद्यार्थी' की संख्या संबंधी विशेषता का ज्ञान होता है।
संख्यावाचक विशेषण के भेद
संख्यावाचक विशेषण के दो भेद होते है-
(i)निश्चित संख्यावाचक विशेषण
(ii)अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण
(i)निश्चित संख्यावाचक विशेषण :- वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध कराते हैं,
निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
सरल शब्दों में- जिससे किसी निश्र्चित संख्या का ज्ञान हो, वह निश्चित संख्यावाचक विशेषण है।
जैसे- एक, दो आठ, चौगुना, सातवाँ आदि।
अन्य उदाहरण-
-मेरी कक्षा में चालीस छात्र हैं।
-कमरे में एक पंखा घूम रहा है।
-डाल पर दो चिड़ियाँ बैठी हैं।
-प्रार्थना-सभा में सौ लोग उपस्थित थे।
इन सभी वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध हो रहा हैं।
जैसे
कक्षा में कितने छात्र हैं?- चालीस,
कमरे में कितने पंखे घूम रहे हैं?- एक,
डाल पर कितनी चिड़ियाँ बैठी हैं?- दो
तथा प्रार्थना-सभा में कितने लोग उपस्थित थे?- सौ।
प्रयोग के अनुसार निश्चित संख्यावाचक विशेषण के निम्नलिखित प्रकार हैं-
(क) गणनावाचक विशेषण- जो विशेषण गिनती या गणना का बोध कराएँ।
जैसे- एक, दो, दस, बीस आदि।
इसके भी दो प्रभेद होते हैं-
(a) पूर्णांकबोधक विशेषण- इसमें पूर्ण संख्या का प्रयोग होता है।
जैसे- चार छात्र, आठ लड़कियाँ।
(b) अपूर्णांकबोधक विशेषण- इसमें अपूर्ण संख्या का प्रयोग होता है।
जैसे- सवा रुपये, ढाई किमी. आदि।
(ख) क्रमवाचक विशेषण- वे विशेषण जो वस्तुओं या व्यक्तियों के क्रम (order) का बोध कराएँ।
जैसे- पाँचवाँ, बीसवाँ आदि।
(ग) आवृत्तिवाचक विशेषण- जो विशेषण संख्या के गुणन का बोध कराएँ।
जैसे- दुगने छात्र, ढाई गुना लाभ आदि।
(घ) संग्रहवाचक विशेषण- यह अपने विशेष्य की सभी इकाइयों का संग्रह बतलाता है।
जैसे- चारो आदमी, आठो पुस्तकें आदि।
(ड़) समुदायवाचक विशेषण- यह वस्तुओं की सामुदायिक संख्या को व्यक्त करता है।
जैसे- एक जोड़ी चप्पल, पाँच दर्जन कॉपियाँ आदि।
(च) वीप्सावाचक विशेषण- व्यापकता का बोध करानेवाली संख्या को वीप्सावाचक कहते हैं।
यह दो प्रकार से बनती है- संख्या के पूर्व प्रति, फी, हर, प्रत्येक इनमें से किसी के पूर्व प्रयोग
से या संख्या के द्वित्व से।
जैसे- प्रत्येक तीन घंटों पर यहाँ से एक गाड़ी खुलती है।
पाँच-पाँच छात्रों के लिए एक कमरा है।
(ii)अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :- वे विशेषण शब्द जो विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध न कराते हों, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में- जिस विशेषण से संख्या निश्चित रूप से नहीं जानी जा सके, वह अनिश्चित विशेषण है।
जैसे- कई, कुछ, सब, थोड़, सैकड़ों, अरबों आदि।
अन्य उदाहरण-
बम के भय से कुछ लोग बेहोश हो गए।
कक्षा में बहुत कम छात्र उपस्थित थे।
कुछ फल खाकर ही मेरी भूख मिट गई।
कुछ देर बाद हम चले जाएँगे।
इन सभी वाक्यों में विशेष्य की निश्चित संख्या का बोध नहीं हो रहा है
जैसे- कितने लोग बेहोश हो गए?- कुछ,
कितने छात्र उपस्थित थे?- कम,
कितने फल खाकर भूख मिट गई?- कुछ,
कितनी देर बाद हम चले जाएँगे?- कुछ।
3. परिमाणवाचक विशेषण :- जिन विशेषण शब्दों से किसी वस्तु के माप-तौल संबंधी विशेषता का बोध होता है, वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं।
दूसरे शब्दों में- वह विशेषण जो अपने विशेष्यों की निश्चित अथवा अनिश्चित मात्रा (परिमाण) का बोध कराए, परिमाणवाचक विशेषण कहलाता है।
यह किसी वस्तु की नाप या तौल का बोध कराता है।
जैसे- 'सेर' भर दूध, 'तोला' भर सोना, 'थोड़ा' पानी, 'कुछ' पानी, 'सब' धन, 'और' घी लाओ, 'दो' लीटर दूध, 'बहुत' चीनी इत्यादि।
इस विशेषण का एकमात्र विशेष्य द्रव्यवाचक संज्ञा है।
जैसे-
मुझे थोड़ा दूध चाहिए, बच्चे भूखे हैं।
बारात को खिलाने के लिए चार क्विंटल चावल चाहिए।
उपर्युक्त उदाहरणों में 'थोड़ा' अनिश्चित एवं 'चार क्विंटल' निश्चित मात्रा का बोधक है।
परिमाणवाचक से भिन्न संज्ञा शब्द भी परिमाणवाचक की भाँति प्रयुक्त होते हैं।
जैसे-
चुल्लूभर पानी में डूब मरो।
2020 की बाढ़ में सड़कों पर छाती भर पानी हो गया था।
संख्यावाचक की तरह ही परिमाणवाचक में भी 'ओ' के योग से अनिश्चित बहुत प्रकट होता है। जैसे-
उस पर तो घड़ों पानी पड़ गया है।
परिमाणवाचक विशेषण के भेद
परिमाणवाचक विशेषण के दो भेद होते है-
(i) निश्चित परिमाणवाचक
(ii)अनिश्चित परिमाणवाचक
(i) निश्चित परिमाणवाचक:- जो विशेषण शब्द किसी वस्तु की निश्चित मात्रा अथवा माप-तौल का बोध कराते हैं, वे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।
जैसे- 'दो सेर' घी, 'दस हाथ' जगह, 'चार गज' मलमल, 'चार किलो' चावल।
(ii)अनिश्चित परिमाणवाचक :- जो विशेषण शब्द किसी वस्तु की निश्चित मात्रा अथवा माप-तौल का बोध नहीं कराते हैं, वे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।
जैसे- 'सब' धन, 'कुछ' दूध, 'बहुत' पानी।
4.सार्वनामिक विशेषण या संकेतवाचक संकेतवाचक:- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की ओर संकेत करते है या जो शब्द सर्वनाम होते हुए भी किसी संज्ञा से पहले आकर उसकी विशेषता को प्रकट करें, उन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते है।
दूसरे शब्दों में- ( मैं, तू, वह ) के सिवा अन्य सर्वनाम जब किसी संज्ञा के पहले आते हैं, तब वे 'संकेतवाचक' या 'सार्वनामिक विशेषण' कहलाते हैं।
सरल शब्दों में- वे सर्वनाम जो संज्ञा से पूर्व प्रयुक्त होकर उसकी ओर संकेत करते हुए विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, 'संकेतवाचक विशेषण' कहलाते हैं।
जैसे- वह गाय दूध देती है।
यह पुस्तक मेरी है।
उक्त वाक्यों में 'वह' सर्वनाम 'गाय' संज्ञा से पहले आकर उसकी ओर संकेत कर रहा है। इसी प्रकार दूसरे वाक्य में 'यह' सर्वनाम 'पुस्तक' से पूर्व आकर उसकी ओर संकेत कर रहा है। ये दोनों सर्वनाम विशेषण की तरह प्रयुक्त हुए हैं, अतः इन्हें संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
ये लड़के, कोई स्त्री, कौन-सा फूल, वे कुर्सियाँ आदि में ये, कोई, कौन-सा, वे- सार्वनामिक विशेषण हैं।
सार्वनामिक विशेषण के भेद
व्युत्पत्ति के अनुसार सार्वनामिक विशेषण के भी दो भेद है-
(i) मौलिक सार्वनामिक विशेषण
(ii) यौगिक सार्वनामिक विशेषण
(i) मौलिक सार्वनामिक विशेषण- जो बिना रूपान्तर के संज्ञा के पहले आता हैं।
जैसे- 'यह' घर; वह लड़का; 'कोई' नौकर इत्यादि।
(ii) यौगिक सार्वनामिक विशेषण- जो मूल सर्वनामों में प्रत्यय लगाने से बनते हैं।
जैसे- 'ऐसा' आदमी; 'कैसा' घर; 'जैसा' देश इत्यादि।
सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर :-
-जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा शब्द के स्थान पर हो उसे सर्वनाम कहते हैं।
जैसे-वह मुंबई गया। इस वाक्य में वह सर्वनाम है।
-जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा से पूर्व अथवा बाद में विशेषण के रूप में किया गया हो उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
जैसे-वह रथ आ रहा है। इसमें वह शब्द रथ का विशेषण है। अतः यह सार्वनामिक विशेषण है।
5.व्यक्तिवाचक विशेषण:-जिन विशेषण शब्दों की रचना व्यक्तिवाचक संज्ञा से होती है, उन्हें व्यक्तिवाचक विशेषण कहते है।
दूसरे शब्दों में- ऐसे शब्द जो असल में संज्ञा के भेद व्यक्तिवाचक संज्ञा से बने होते हैं एवं विशेषण शब्दों की रचना करते हैं, वे व्यक्तिवाचक विशेषण कहलाते हैं।
जैसे- इलाहाबाद से इलाहाबादी
जयपुर से जयपुरी
बनारस से बनारसी
लखनऊ से लखनवी आदि।
उदाहरण- 'इलाहाबादी' अमरूद मीठे होते है।
व्यक्तिवाचक विशेषण के अन्य उदाहरण
मुझे भारतीय खाना बहुत पसंद है।
ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं भारतीय शब्द असल में तो व्यक्तिवाचक संज्ञा से बना भारत शब्द लेकिन अब भारतीय शब्द विशेषण की रचना कर रहा है। इस वाक्य में यह शब्द खाने की विशेषता बता रहा है। अतः यह उदाहरण व्यक्तिवाचक विशेषण के अंतर्गत आयेंगे।
सभी साड़ियों में से मुझे बनारसी साडी सबसे ज्यादा पसंद है।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि बनारसी शब्द का प्रयोग किया गया है। यह शब्द बनारस शब्द से बना है जो एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है लेकिन अब यह बनारसी बनने के बाद यह विशेषण कि तरह प्रयोग हो रहा है। अतः यह उदाहरण व्यक्तिवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
हमारी दूकान पर जयपुरी मिठाइयां मिलती हैं।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा कि आप देख सकते हैं जयपुरी शब्द का इस्तेमाल किया गया है। यह शब्द जयपुर शब्द से बना है जो कि एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है।
यह शब्द जयपुरी बनने के बाद विशेषण बन जाता हैं एवं अब इस वाक्य में मिठाइयों कि विशेषता बता रहा है। अतः यह उदाहरण व्यक्तिवाचक विशेषण के अंतर्गत आएगा।
06. प्रश्नवाचक विशेषण -ऐसे शब्द जिनका संज्ञा या सर्वनाम में जानने के लिए प्रयोग होता है, जैसे कौन, क्या आदि वे शब्द प्रश्नवाचक विशेषण कहलाते हैं।
इन विशेषण शब्दों का प्रयोग करके हमें संज्ञा या सर्वनाम के बारे में ज्यादा जानकारी मिल जाती है।
जैसे: यह व्यक्ति कौन है ?, यह चीज़ क्या है ? आदि।
प्रश्नवाचक विशेषण के उदाहरण
तुम कौन सी वस्तु के बारे में बात कर रहे हो?
ऊपर उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कौन शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इस शब्द का प्रयोग करके संज्ञा के बारे में अधिक जानकारी लेने का प्रयास किया जा रहा है। हम जानते हैं की जब किसी शब्द का प्रयोग करके संज्ञा के बारे में अधिक जानकारी लेने की कोशिश की जाती है, तब वहाँ प्रश्नवाचक विशेषण होता है।
अतः यह उदाहरण प्रश्नवाचक विशेषण के अंतर्गत आयेगा।
यह जहाज क्या होता है ?
जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि क्या शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस शब्द का प्रयोग करके किसी वस्तु के बारे में जानने की कोशिश की जा रही है। हम जानते हैं की जब किसी शब्द का प्रयोग करके संज्ञा के बारे में अधिक जानकारी लेने की कोशिश की जाती है, तब वहाँ प्रश्नवाचक विशेषण होता है।
अतः यह उदाहरण प्रश्नवाचक विशेषण के अंतर्गत आयेगा।
मेरे जाने के बाद कौन यहाँ आया था ?
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा कि आप देख सकते हैं कौन शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस शब्द का प्रयोग करके पीछे से आने वाले व्यक्तियों के बारे में यानी व्यक्तिवाचक संज्ञा की जानकारी लेने की कोशिश की जा रही है।
हम जानते हैं की जब किसी शब्द का प्रयोग करके संज्ञा के बारे में अधिक जानकारी लेने की कोशिश की जाती है, तब वहाँ प्रश्नवाचक विशेषण होता है।
अतः यह उदाहरण प्रश्नवाचक विशेषण के अंतर्गत आयेगा।
विकास के साथ कहाँ गए थे तुम ?
07. तुलना बोधक विशेषण -जैसा कि हम सभी जानते हैं विशेषण शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। लेकिन कई बार दो वस्तुओ के गुण दोष आदि की तुलना कि जाती है।
जिन शब्दों से दो वस्तुओं की परस्पर तुलना की जाती है वे शब्द तुलनाबोधक विशेषण कहलाते हैं। जैसे: राम सुरेश से ज्यादा सुन्दर है। यहाँ दो व्यक्तियों की विशेषताओं की तुलना की जा रही है।
तुलनाबोधक विशेषण की तीन अवस्थाएं होती हैं :
- मूलावस्था
- उत्तरावस्था
- उत्तमावस्था
1. मूलावस्था :
जब किसी एक ही व्यक्ति या वस्तु विशेषता जैसे गुण, दोष शर्म स्वभाव बताने के लिए विशेषण का प्रयोग किया जाता है, तब उसे मूलावस्था कहते हैं।
यहाँ किन्हीं दो वस्तु या व्यक्ति आदि की तुलना नहीं की जाती है।
जैसे: अच्छा, बुरा, वीर, बहादुर, निडर, डरपोक आदि।
उदाहरण:
मैं बड़ा होकर वीर सिपाही बनना चाहता हूँ।
ज़िन्दगी में एक शेर की भांति निडर होना चाहिए।
डरपोक लोगों के लिए इस घर में जगह नहीं है।
रमेश एक बहुत अच्छा व्यक्ति है।
ऊपर दिए गए उदाहरण में आप देख सकते हैं कि विशेषण शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन विशेषण शब्दों का प्रयोग करके दो वस्तु, व्यक्ति आदि की तुलना नहीं की जा रही है। अतः तुलनाबोधक विशेषण की मूलावस्था कहलाएगी।
2. उत्तरावस्था
जब किन्हीं वस्तुओं या व्यक्तियों की आपस में गुण, दोष आदि पर आधारित तुलना की जाती है एवं उनमे से एक को श्रेष्ठ माना जाता है, तब यह उत्तरावस्था कहलाती है।
जैसे: ज्यादा सुन्दर, अधिक बुद्धिमान, ज्यादा तेज़ आदि।
उदाहरण:
मैं तुमसे ज्यादा दयालु हूँ।
रीना मीना से अधिक बुद्धिमान है।
मिल्खा बोल्ट से ज्यादा तेज़ भागता है।
लोहा ताम्बे से ज्यादा भारी होता है।
जैसा कि आपने ऊपर दिए गए उदाहरणों में देखा ज्यादा दयालु, ज्यादा तेज़ आदि शब्दों का प्रयोग करके दो वस्तुओं के गुण दोष आदि की तुलना की जा रही है एवं एक को श्रेष्ठ माना जाता है। अतः यह उत्तरावस्था कहलाएगी।
3. उत्तमावस्था
जब दो से ज्यादा वस्तुओं या व्यक्तियों की तुलना की जाती है एवं उनमे से किसी एक को ही सर्वश्रेठ बताया जाता है, तो उसे उत्तमावस्था कहा जाता है।
जैसे: विशालतम, सबसे सुन्दर आदि।
उदाहरण:
सभी महासागरों में प्रशांत महासागर विशालतम है।
इन सब में से तुम सबसे सुन्दर हो।
हल्क सबसे ज्यादा बलवान है।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में आप देख सकते हैं विशालतम, सबसे सुन्दर आदि शब्द प्रयोग किये गए हैं। इन शब्द से हमें कोई एक वस्तु या व्यक्ति के सर्वश्रेष्ठ होने का पता चल रहा है। अतः यह उत्तमावस्था कहलाएगी।
तुलनाबोधक विशेषण की अवस्थाओं के कुछ उदाहरण :
मूलावस्था-उत्तरावस्था-उत्तमावस्था
महान-महानतर-महानतम
लघु -लघुतर-लघुतम
विशाल-विशालतर-विशालतम
सुन्दर-सुन्दरतर-सुन्दरतम
अधिक-अधिकतर-अधिकतम
कोमल-कोमलतर-कोमलतम
निम्न- निम्नतर-निम्नतम
निकृष्ट-निकृष्टतर-निकृष्टतम
चतुर -अधिक चतुर-सबसे अधिक चतुर
बलवान-अधिक बलवान-सबसे अधिक बलवान
कठोर -कठोरतर-कठोरतम
अच्छी-अधिक अच्छी-सबसे अच्छी
बुद्धिमान-अधिक बुद्धिमान-सबसे अधिक बुद्धिमान
उच्च-उच्चतर-उच्चतम
गुरु-गुरुतर-गुरुतम
न्यून-न्यूनतर-न्यूनतम
तीव्र-तीव्रतर-तीव्रतम
उत्कृष्ट-उत्कृष्टतर-उत्कृष्टतम
प्रिय-प्रियतर-प्रियतम
- एक बुद्धिमान व्यक्ति जग जीत सकता है।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं, यहां बुद्धिमान शब्द का प्रयोग किया गया है। जैसा की हम जानते हैं, बुद्धिमान एक विशेषण शब्द है। यहां एक विशेषण शब्द का प्रयोग किया गया है लेकिन यहां किसी प्रकार की तुलना नहीं की जा रही है। अतः यह तुलनबोधक विशेषण की मूलावस्था कहलाएगी।
- एक रॉकेट तीव्र गति से आकाश की ओर बढ़ता है।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहां तीव्र शब्द का प्रयोग किया गया है। इस शब्द से हमें राकेट की गति की विशेषता का पता चलता है कि उसकी तीव्र गति होती है। हम जानते हैं की तीव्र एक विशेषण शब्द है। यहां एक विशेषण शब्द का प्रयोग किया गया है लेकिन यहां किसी प्रकार की तुलना नहीं की जा रही है। अतः यह तुलनबोधक विशेषण की मूलावस्था कहलाएगी।
- मेघना ने कक्षा में उच्चतम अंक प्राप्त किये।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहां उच्चतम शब्द का प्रयोग किया गया है। जैसा की हम जानते हैं की उच्चतम शब्द उत्तरावस्था में है। यह शब्द हमें मेघना के अंक की विशेषता बता रहा है। यहां उच्चतम शब्द का प्रयोग करके कक्षा के सभी विद्यार्थियों के अंकों की तुलना की गयी है जिसमे मेघना के सबसे ज़्यादा अंक हैं। अतः यह तुलनबोधक विशेषण की मूलावस्था कहलाएगी।
08. संबंधवाचक विशेषण :- जो विशेषण किसी वस्तु की विशेषताएँ दूसरी वस्तु के संबंध में बताता है, उन्हें संबंधवाचक विशेषण कहते हैं।
इस तरह के विशेषण संज्ञा, क्रियाविशेषण तथा क्रिया से बनते हैं। जैसे- 'आनन्द' से आनन्दमय ('आनन्द' संज्ञा से), बाहरी ('बाहर' क्रियाविशेषण से), खुला ('खुलना' क्रिया से)।
संबंधवाचक विशेषणों से सूचित होता है-
(क) वस्तु का लक्ष्य- जंगी जहाज। व्यापारी बेड़ा।
(ख) देश या जाति से संबंध- भारतीय, रूसी, बंगाली।
(ग) स्थान या वस्तु से संबंध- पहाड़ी, रेगिस्तानी, फौलादी, रेशमी, ऊनी, सूती आदि।
(घ) विज्ञान, राजनीति, सामाजिक जीवन आदि से संबंध- वैज्ञानिक, भौतिक, गाणितिक, राजनीतिक, सामाजिक आदि।
विशेषण के कार्य
विशेषण के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं-
(1) विशेषता बताना- विशेषण के द्वारा किसी व्यक्ति या वस्तु की विशेषता बताई जाती है। जैसे- मोहन सुन्दर है। यहाँ 'सुन्दर' मोहन की विशेषता बताता है।
(2) हीनता बताना- विशेषण किसी की हीनता भी बताता है। जैसे- वह लड़का शैतान है। यहाँ 'शैतान' लड़के की हीनता बताता है।
(3) अर्थ सीमित करना- विशेषण द्वारा अर्थ को सीमित किया जाता है। जैसे- काली गाय। यहाँ 'काली' शब्द गाय के एक विशेष प्रकार का अर्थबोध कराता है।
(4) संख्या निर्धारित करना- विशेषण संख्या निर्धारित करने का काम करता है। जैसे- एक आम दो। यहाँ 'एक' शब्द से आम की संख्या निर्धारित होती है।
(5) परिमाण या मात्रा बताना- विशेषण के द्वारा मात्रा बताने का काम किया जाता है। जैसे- पाँच सेर दूध। यहाँ 'पाँच सेर' से दूध की निश्र्चित मात्रा का अर्थबोध होता है।
विशेष्य और विशेषण में सम्बन्ध
विशेषण संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताता है और जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतायी जाती है, उसे विशेष्य कहते हैं।
वाक्य में विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से होता है- कभी विशेषण विशेष्य के पहले आता है और कभी विशेष्य के बाद।
प्रयोग की दृष्टि से विशेषण के भेद
प्रयोग की दृष्टि से विशेषण के दो भेद है-
(1) विशेष्य-विशेषण (2) विधेय-विशेषण
(1) विशेष्य-विशेष- जो विशेषण विशेष्य के पहले आये, वह विशेष्य-विशेष होता हैं।
जैसे- रमेश 'चंचल' बालक है। सुनीता 'सुशील' लड़की है।
इन वाक्यों में 'चंचल' और 'सुशील' क्रमशः बालक और लड़की के विशेषण हैं, जो संज्ञाओं (विशेष्य) के पहले आये हैं।
(2) विधेय-विशेषण- जो विशेषण विशेष्य और क्रिया के बीच आये, वहाँ विधेय-विशेषण होता हैं।
जैसे- मेरा कुत्ता 'काला' हैं। मेरा लड़का 'आलसी' है। इन वाक्यों में 'काला' और 'आलसी' ऐसे विशेषण हैं,
जो क्रमशः 'कुत्ता'(संज्ञा) और 'है'(क्रिया) तथा 'लड़का'(संज्ञा) और 'है'(क्रिया) के बीच आये हैं।
यहाँ दो बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(क) विशेषण के लिंग, वचन आदि विशेष्य के लिंग, वचन आदि के अनुसार होते हैं। जैसे- अच्छे लड़के पढ़ते हैं। आशा भली लड़की है। राजू गंदा लड़का है।
(ख) यदि एक ही विशेषण के अनेक विशेष्य हों तो विशेषण के लिंग और वचन समीपवाले विशेष्य के लिंग, वचन के अनुसार होंगे; जैसे- नये पुरुष और नारियाँ, नयी धोती और कुरता।
विशेषण शब्दों की रचना
हिंदी भाषा में विशेषण शब्दों की रचना संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय आदि शब्दों के साथ उपसर्ग, प्रत्यय आदि लगाकर की जाती है।
संज्ञा से विशेषण शब्दों की रचना
संज्ञा- विशेषण
कथन - कथित
राधा - राधेय
तुंद - तुंदिल
गंगा - गांगेय
धन - धनवान
दीक्षा - दीक्षित
नियम - नियमित
निषेध - निषिद्ध
प्रसंग - प्रासंगिक
पर्वत - पर्वतीय
प्रदेश - प्रादेशिक
प्रकृति - प्राकृतिक
बुद्ध - बौद्ध
भूमि - भौमिक
मृत्यु - मर्त्य
मुख - मौखिक
रसायन - रासायनिक
राजनीति - राजनीतिक
लघु - लाघव
लोभ - लुब्ध/लोभी
वन - वन्य
श्रद्धा - श्रद्धेय/श्रद्धालु
संसार - सांसारिक
सभा - सभ्य
उपयोग - उपयोगी/उपयुक्त
अग्नि - आग्नेय
आदर - आदरणीय
अणु - आणविक
अर्थ - आर्थिक
आशा - आशित/आशान्वित/आशावानी
ईश्वर - ईश्वरीय
इच्छा - ऐच्छिक
इच्छा - ऐच्छिक
उदय - उदित
उन्नति - उन्नत
कर्म - कर्मठ/कर्मी/कर्मण्य
क्रोध - क्रोधालु, क्रोधी
गृहस्थ - गार्हस्थ्य
गुण - गुणवान/गुणी
घर - घरेलू
चिंता - चिंत्य/चिंतनीय/चिंतित
जल - जलीय
जागरण - जागरित/जाग्रत
तिरस्कार - तिरस्कृत
दया - दयालु
दर्शन - दार्शनिक
धर्म - धार्मिक
कुंती - कौंतेय
समर - सामरिक
पुरस्कार - पुरस्कृत
नगर - नागरिक
चयन - चयनित
निंदा - निंद्य/निंदनीय
निश्र्चय - निश्चित
परलोक - पारलौकिक
पुरुष - पौरुषेय
पृथ्वी - पार्थिव
प्रमाण - प्रामाणिक
बुद्धि - बौद्धिक
भूगोल - भौगोलिक
मास - मासिक
माता - मातृक
राष्ट्र - राष्ट्रीय
लोहा - लौह
लाभ - लब्ध/लभ्य
वायु - वायव्य/वायवीय
विवाह - वैवाहिक
शरीर - शारीरिक
सूर्य - सौर/सौर्य
हृदय - हार्दिक
क्षेत्र - क्षेत्रीय
आदि - आदिम
आकर्षण - आकृष्ट
आयु - आयुष्मान
अंत - अंतिम
इतिहास - ऐतिहासिक
उत्कर्ष - उत्कृष्ट
उपकार - उपकृत/उपकारक
उपेक्षा - उपेक्षित/उपेक्षणीय
काँटा - कँटीला
ग्राम - ग्राम्य/ग्रामीण
ग्रहण - गृहीत/ग्राह्य
गर्व - गर्वीला
घाव - घायल
जटा - जटिल
जहर - जहरीला
तत्त्व - तात्त्विक
देव - दैविक/दैवी
दिन - दैनिक
दर्द - दर्दनाक
विनता - वैनतेय
रक्त - रक्तिम
सर्वनाम से विशेषण शब्दों की रचना
सर्वनाम विशेषण
कोई - कोई-सा
जो - जैसा
कौन - कैसा
वह - वैसा
मैं - मेरा/मुझ-सा
हम - हमारा
तुम - तुम्हारा
यह - ऐसा
क्रिया से विशेषण शब्दों की रचना
क्रिया विशेषण
भूलना -- भुलक्क़ड़
खेलना -- खिलाड़ी
पीना -- पियक्कड़
लड़ना -- लड़ाकू
अड़ना -- अड़ियल
सड़ना -- सड़ियल
घटना -- घटित
लूटना -- लुटेरा
पठ -- पठित
रक्षा -- रक्षक
बेचना -- बिकाऊ
कमाना -- कमाऊ
उड़ना -- उड़ाकू
खाना -- खाऊ
पत् -- पतित
मिलन -- मिलनसार
व्यय से विशेषण शब्दों की रचना
अव्यय -- विशेषण
ऊपर -- ऊपरी
पीछे -- पिछला
नीचे -- निचला
आगे -- अगला
भीतर -- भीतरी
बाहर -- बाहरी
विशेषण की रूप रचना
विशेषणों की रूप-रचना निम्नलिखित अवस्थाओं में मुख्यतः संज्ञा, सर्वनाम और क्रिया में प्रत्यय लगाकर होती है-
विशेषण की रचना पाँच प्रकार के शब्दों से होती है-
(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा से- गाजीपुर से गाजीपुरी, मुरादाबाद से मुरादाबादी, गाँधीवाद से गाँधीवादी।
(2) जातिवाचक संज्ञा से- घर से घरेलू, पहाड़ से पहाड़ी, कागज से कागजी, ग्राम से ग्रामीण, शिक्षक से शिक्षकीय, परिवार से पारिवारिक।
(3) सर्वनाम से- यह से ऐसा (सार्वनामिक विशेषण), यह से इतने (संख्यावाचक विशेषण), यह से इतना (परिमाणवाचक विशेषण), जो से जैसे (प्रकारवाचक विशेषण), जितने (संख्यावाचक विशेषण), जितना (परिमाणवाचक विशेषण), वह से वैसा (सार्वनामिक विशेषण), उतने (संख्यावाचक विशेषण), उतना (परिमाणवाचक विशेषण)।
(4) भाववाचक संज्ञा से- भावना से भावुक, बनावट से बनावटी, एकता से एक, अनुराग से अनुरागी, गरमी से गरम, कृपा से कृपालु इत्यादि।
(5) क्रिया से- चलना से चालू, हँसना से हँसोड़, लड़ना से लड़ाकू, उड़ना से उड़छू, खेलना से खिलाड़ी, भागना से भगोड़ा, समझना से समझदार, पठ से पठित, कमाना से कमाऊ इत्यादि।
कुछ शब्द स्वंय विशेषण होते है और कुछ प्रत्यय लगाकर बनते है।
जैसे -
(1)'ई' प्रत्यय से = जापान-जापानी, गुण-गुणी, स्वदेशी, धनी, पापी।
(2) 'ईय' प्रत्यय से = जाति-जातीय, भारत-भारतीय, स्वर्गीय, राष्ट्रीय ।
(3)'इक' प्रत्यय से = सप्ताह-साप्ताहिक, वर्ष-वार्षिक, नागरिक, सामाजिक।
(4)'इन' प्रत्यय से = कुल-कुलीन, नमक-नमकीन, प्राचीन।
(5)'मान' प्रत्यय से = गति-गतिमान, श्री-श्रीमान।
(6)'आलु'प्रत्यय से = कृपा -कृपालु, दया-दयालु ।
(7)'वान' प्रत्यय से = बल-बलवान, धन-धनवान।
(8)'इत' प्रत्यय से = नियम-नियमित, अपमान-अपमानित, आश्रित, चिन्तित ।
(9)'ईला' प्रत्यय से = चमक-चमकीला, हठ-हठीला, फुर्ती-फुर्तीला।
विशेषण का पद-परिचय
विशेषण के पद-परिचय में संज्ञा और सर्वनाम की तरह लिंग, वचन, कारक और विशेष्य बताना चाहिए।
उदाहरण- यह तुम्हें बापू के अमूल्य गुणों की थोड़ी-बहुत जानकारी अवश्य करायेगा।
इस वाक्य में अमूल्य और थोड़ी-बहुत विशेषण हैं। इसका पद-परिचय इस प्रकार होगा-
अमूल्य- विशेषण, गुणवाचक, पुंलिंग, बहुवचन, अन्यपुरुष, सम्बन्धवाचक, 'गुणों' इसका विशेष्य।
थोड़ी-बहुत- विशेषण, अनिश्र्चित संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, कर्मवाचक, 'जानकारी' इसका विशेष्य।
विशेषणों का रूपान्तर
विशेषण का अपना लिंग-वचन नहीं होता। वह प्रायः अपने विशेष्य के अनुसार अपने रूपों को परिवर्तित करता है। हिन्दी के सभी विशेषण दोनों लिंगों में समान रूप से बने रहते हैं; केवल आकारान्त विशेषण स्त्री० में ईकारान्त हो जाया करता है।
अपरिवर्तित रूप
(1) बिहारी लड़के भी कम प्रतिभावान् नहीं होते।
(2) वह अपने परिवार की भीतरी कलह से परेशान है।
(3) उसका पति बड़ा उड़ाऊ है।
परिवर्तित रूप
(1) अच्छा लड़का सर्वत्र आदर का पात्र होता है।
(2) अच्छी लड़की सर्वत्र आदर की पात्रा होती है।
(3) हमारे वेद में ज्ञान की बातें भरी-पड़ी हैं।
(4) विद्वान सर्वत्र पूजे जाते हैं।
(5) राक्षस मायावी होता था।
(6) राक्षसी मायाविनी होती थी।
जिन विशेषण शब्दों के अन्त में 'इया' रहता है, उनमें लिंग के कारण रूप-परिवर्तन नहीं होता। जैसे-
मुखिया, दुखिया, बढ़िया, घटिया, छलिया।
दुखिया मर्दो की कमी नहीं है इस देश में।
दुखिया औरतों की भी कमी कहाँ है इस देश में।
उर्दू के उम्दा, ताजा, जरा, जिंदा आदि विशेषणों का रूप भी अपरिवर्तित रहता है। जैसे-
आज की ताजा खबर सुनो।
पिताजी ताजा सब्जी लाये हैं।
सार्वनामिक विशेषणों के रूप भी विशेष्यों के अनुसार ही होते हैं।
जैसे-
जैसी करनी वैसी भरनी
यह लड़का-वह लड़की
ये लड़के-वे लड़कियाँ
जो तद्भव विशेषण 'आ' नहीं रखते उन्हें ईकारान्त नहीं किया जाता है। स्त्री० एवं पुं० बहुवचन में भी उनका प्रयोग वैसा ही होता है।
जैसे-
ढीठ लड़का कहीं भी कुछ बोल जाता है।
वहां के लड़के बहुत ही ढीठ हैं।
जब किसी विशेषण का जातिवाचक संज्ञा की तरह प्रयोग होता है तब स्त्री०- पुं० भेद बराबर स्पष्ट रहता है। जैसे-
उस सुन्दरी ने पृथ्वीराज चौहान को ही वरण किया।
उन सुन्दरियों ने मंगलगीत प्रारंभ कर दिए।
परन्तु, जब विशेषण के रूप में इनका प्रयोग होता है तब स्त्रीत्व-सूचक 'ई' का लोप हो जाता है। जैसे-
उन सुन्दर बालिकाओं ने गीत गाए।
चंचल लहरें अठखेलियाँ कर रही है।
जिन विशेषणों के अंत में 'वान्' या 'मान्' होता है, उनके पुंल्लिंग दोनों वचनों में 'वान्' या 'मान्'और स्त्रीलिंग दोनों वचनों में 'वती' या 'मती' होता है।
जैसे-
गुणवान लड़का : गुणवान् लड़के
गुणवती लड़की : गुणवती लड़कियाँ
बुद्धिमान् लड़का : बुद्धिमान् लड़के
बुद्धिमती लड़की : बुद्धिमती लड़कियाँ
सर्वनाम तथा सार्वनामिक विशेषण में अंतर
सर्वनाम संज्ञा के स्थान पर आता है, अतः सर्वनाम के बाद संज्ञा का प्रयोग नहीं होता। संज्ञा से पूर्व आने वाला सर्वनाम विशेषण बन जाता है, तब उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे- 'वह कल आया है' में 'वह' किसी संज्ञा के स्थान पर आने के कारण सर्वनाम है। 'वह बालक कल आया है' में वह संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण है क्योंकि 'वह' बालक की ओर संकेत कर रहा है।
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