09.क्रिया-विशेषण -(kriya-visheshan) -adverb
जय हिंद दोस्तों Studyandupdates आप सभी के हिन्दी व्याकरण अध्यायवार तरीके से लेकर आया है जो कि आपके सभी कंपटीशन एग्जामिनेशन SSC GD , CISF , BSF , ITBP , NIA and UPSC के लिए महत्वपूर्ण है
क्रिया विशेषण -kriya visheshan -adverb
वह शब्द जो हमें क्रियाओं की विशेषता का बोध कराते हैं वे शब्द क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
या
जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है, उन शब्दों को हम क्रिया-विशेषण कहते हैं
क्रिया विशेषण की परिभाषा : -
जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का बोध होता है उन्हें क्रिया-विशेषण कहते हैं।
जैस -
वह धीरे-धीरे चलता है।
इस वाक्य में 'चलता' क्रिया है और 'धीरे-धीरे' उसकी विशेषता बता रहा है।
अतः 'धीरे-धीरे' क्रिया-विशेषण है।
क्रिया विशेषण के भेद
अर्थ के आधार पर क्रिया-विशेषण के भेद
अर्थ के आधार पर क्रिया-विशेषण के 4 प्रकार है :
1. रीतिवाचक
2. कालवाचक
3. स्थानवाचक
4. परिणामवाचक
1. रीतिवाचक (Rītivācaka) : -
ऐसे क्रिया-विशेषण शब्द जो किसी क्रिया के होने की विधि या तरीके का बोध कराते हैं, वह शब्द रीतिवाचक क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
जैसे:-
- सुरेश ध्यान से चलता है।
- वह फटाफट खाता है।
- अमित गलत चाल चलता है।
- उमेश हमेशा सच बोलता है।
- पियूष अच्छी तरह काम करता है।
- नरेन्द्र ध्यान पूर्वक पढ़ाई करता है।
- शेर धीरे-धीरे आगे बढ़ता है।
2. कालवाचक (kaalavaachak ) :-
वो क्रिया-विशेषण शब्द जो क्रिया के होने के समय के बारे में बताते हैं, कालवाचक क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
या
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के होने का समय बतलाते हैं, उन्हें कालवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं।
जैसे:
- श्यामू कल मेरे घर आया था।
- परसों बरसात होगी।
- मैंने सुबह खाना खाया था।
- मैं शाम को खेलता हूँ।
3. स्थानवाचक (Sthānavācaka) :-
ऐसे अविकारी शब्द जो हमें क्रियाओं के होने के स्थान का बोध कराते हैं, वे शब्द स्थानवाचक क्रिया-विशेषण कहलाते हैं
या
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के संपादित होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रिया-विशेषण कहते हैं।
जैसे:
यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।
- तुम अन्दर जाकर बैठो।
- मैं बाहर खेलता हूँ।
- हम छत पर सोते हैं।
- मैं पेड़ पर बैठा हूँ।
- शशि मुझसे बहुत दूर बैठी है।
- मुरारी मैदान में खेल रहा है।
- तुम अपने दाहिने ओर गिर जाओ।
4. परिणामवाचक (parinaamavaachak) :-
ऐसे क्रिया-विशेषण शब्द जिनसे हमें क्रिया के परिमाण, संख्या या मात्र का पता चलता है, वे शब्द परिमाणवाचक क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
जैसे: -
बहुत, अधिक,अधिकाधिक पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल, यथेष्ट, इतना, उतना, कितना, थोड़ा-थोड़ा, तिल-तिल, एक-एक करके, आदि
- तुम थोड़ा अधिक खाओ।
- अमृत बहुत ज्यादा दौड़ता है।
- मोहन अधिक खाना खाता है।
- आयुष उसके दोस्त से ज्यादा पढता है।
- अभी तक तुमने पर्याप्त नींद नहीं ली।
प्रयोग के आधार पर क्रिया-विशेषण के भेद
प्रयोग के आधार पर क्रिया-विशेषण के तीन भेद होते हैं :
- साधारण क्रियाविशेषण ,
- सयोंजक क्रियाविशेषण व
- अनुबद्ध क्रियाविशेषण
1. साधारण क्रिया-विशेषण (saadhaaran kriya-visheshan) :-
ऐसे क्रिया-विशेषण शब्द जिनका प्रयोग वाक्य में स्वतंत्र होता है, वे शब्द साधारण क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
जैसे:
- अरे! तुम कब आये ?
- हाय! यह क्या हो गया।
- अरे! वह लड़का कहाँ चला गया ?
- बेटा जल्दी आओ।
2. सयोंजक क्रिया-विशेषण (Sayōn̄jaka kriya-visheshan) ;-
जिन क्रिया-विशेषण का सम्बन्ध किसी उपवाक्य से होता है , वह शब्द सयोंजक क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
जैसे :
- जहाँ तुम अभी खड़े हो, वहां घर हुआ करता था।
- जहां तुम जाओगे, वहीँ मैं जाऊँगा।
- यहाँ हम चल रहे हैं, वहां वो दौड़ रहे हैं।
3. अनुबद्ध क्रिया-विशेषण (anubaddh kriya-visheshan) :-
ऐसे शब्द जो निश्चय के लिए कहीं भी प्रयोग कर लिए जाते हैं वे शब्द अनुबद्ध क्रिया-विशेषण कहलाते हैं।
जैसे:
- यह काम तो गलत ही हुआ है।
- आपके आने भर की देर है।
रूप के आधार पर क्रिया-विशेषण के भेद
रूप के आधार पर क्रिया-विशेषण के तीन भेद होते हैं :
- मूल क्रिया-विशेषण
- स्थानीय क्रिया-विशेषण
- योगिक क्रिया-विशेषण
1. मूल क्रिया-विशेषण (mool kriya-visheshan)-
ऐसे शब्द जो दुसरे शब्दों के मेल से नहीं बनते यानी जो दुसरे शब्दों में प्रत्यय लगे बिना बन जाते हैं, वे शब्द मूल क्रियाविशेषण कहलाते हैं।
जैसे: – पास , दूर , ऊपर , आज , सदा , अचानक , फिर , नहीं , ठीक आदि।
2. स्थानीय क्रिया-विशेषण (sthaaneey kriya-visheshan) :-
ऐसे अन्य शब्द-भेद जो बिना अपने रूप में बदलाव किये किसी विशेष स्थान पर आते हैं, वे स्थानीय क्रियाविशेषण कहलाते हैं।
जैसे:
- वह अपना सिर पढेगा।
- तुम दौड़कर चलते हो।
3. योगिक क्रिया-विशेषण (yogik kriya-visheshan)
ऐसे क्रियाविशेषण जो किसी दुसरे शब्दों में प्रत्यय या पद आदि लगाने से बनते हैं, ऐसे क्रियाविशेषण योगिक क्रियाविशेषणों की श्रेणी में आते हैं।
संज्ञा से यौगिक क्रिया-विशेषण :-
जैसे :- सबेरे , सायं , आजन्म , क्रमशः , प्रेमपूर्वक , रातभर , मन से आदि।
सर्वनाम से यौगिक क्रिया-विशेषण :-
जैसे :- यहाँ , वहाँ , अब , कब , इतना , उतना , जहाँ , जिससे आदि।
विशेषण से क्रिया-विशेषण :-
जैसे :- चुपके , पहले , दूसरे , बहुधा , धीरे आदि।
क्रिया से क्रिया-विशेषण :-
जैसे :- खाते , पीते , सोते , उठते , बैठते , जागते आदि।
|
दोस्तों यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के बीच व्हाट्सएप पर फेसबुक पर शेयर करें,Friends, if you liked this post, then share it among your friends on WhatsApp on Facebook. TeamStudyandupdates Mail US :- 💬💬 Studyandupdates@gmail.com WhatsApp on -7979946092
|
No comments:
Post a Comment