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The Jaina literature is known as / जैन साहित्य को के रूप में जाना जाता है

The Jaina literature is known as / जैन साहित्य को के रूप में जाना जाता है

 

(1) Tripitakas / त्रिपिटक   (2) Epics / महाकाव्य
(3) Aryasutras / आर्यसूत्र (4) Angas / अंगस

(SSC Multi-Tasking Staff Exam. 10.03.2013, Ist Sitting : Patna)

 

 

Answer / उत्तर :-

(4) Angas / अंगस

Explanation / व्याख्या :-

The Jaina literature is known as Angas. The first attempts to systematise the preachings of Lord Mahavira, were made in the Pataliputra Council in the 4th century BC, but they were finally rearranged, redacted and committed to writing in the Valabhi Council in 512 AD under the presidentship of Devardhi Kshamasramana. /जैन साहित्य को अंग के रूप में जाना जाता है। भगवान महावीर के उपदेशों को व्यवस्थित करने का पहला प्रयास ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में पाटलिपुत्र परिषद में किया गया था, लेकिन अंत में उन्हें 512 ईस्वी में देवरधी क्षमाश्रमण की अध्यक्षता में वल्लभी परिषद में पुनर्व्यवस्थित, संशोधित और लिखने के लिए प्रतिबद्ध किया गया था।

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