Question / प्रश्न : - फाइलेरिया रोग किसके कारण होता है / Filariasis is caused by
Answer / उत्तर – कृमि / Worm
What is Filariasis? , Filariasis is a parasitic disease. This disease is caused by nematode worms. These parasites can enter the human body through some species of mosquitoes (Wuchereria Bancrofti or Rugia Malayi) and blood-sucking insects. This disease is also called filariasis or filariasis. Further in the article, information about the types of this disease, its causes and its related treatment is given.
Types of Filariasis
There are three types of filariasis, which are as follows: Lymphatic filariasis: This is the most common type of filariasis, caused by parasites named Wuchereria bancrofti, Brugia malayi and Brugia timori. These worms affect the lymphatic system (a part of the circulatory system) including the lymph nodes. Lymphatic filariasis is also called elephantiasis. Subcutaneous filariasis: It can be caused by parasites called Loa loa (eye worm), Mansonella streptocerca and Onchocerca Volvulus. It affects the lower layer of the skin. Serous Cavity Filariasis: This also comes under the category of type of filariasis.
Due to filariasis
Treatment of filariasis can be easier when its cause is known. If we talk about the cause of filariasis, it is mentioned at the beginning of the article that it is caused by nematode parasites. These parasites can enter the body of a healthy person through mosquitoes and other blood-drinking insects. Below we are giving the names of other insects that can cause filariasis.
Symptoms of filariasis
Some of the symptoms of filariasis are as follows. frequent fever swelling of the limbs, genitals, and breasts Hydrocele (swelling in the testicles) skin exfoliation swelling of hands and feet
Risk Factors of Filariasis –
People who have lived in tropical or sub-tropical areas for a long time are most likely to get it. Those who travel to these places, however, have a lower risk.
treatment of filariasis Antiparasitic Treatment: As mentioned above in the article, nematode worms cause filariasis. In such a situation, anti-parasitic treatment may be required to eliminate them. In this, the doctor can give the following medicines to the patient. Albendazole Ivermectin Doxycycline Diethylcarbamazine Citrate (DEC-DEC) Surgery: In some cases, filariasis can also be treated with surgery. If the problem has increased and has taken a serious form, then in these cases the doctor can do surgery. There can be considerable improvement with surgery, but there may also be a risk of infection after surgery. Therefore, it is better to pay attention to the initial symptoms and consult a doctor. Remedies to Avoid Filariasis – Prevention Tips for Filariasis in Hindi Many a times, due to lack of information, a person is not able to protect himself from the disease. In such a situation, in this part of the article, we are trying to bring to the readers some tips on protection from elephant feet. Wear full clothes outside or at home in the evening. Apply mosquito net before sleeping. Use liquid mosquito repellents at home. In between, go to the doctor for a body checkup.
फाइलेरिया क्या है? – फाइलेरिया एक पैरासाइट डिजीज है। यह बीमारी निमेटोड कीड़ों (Nematode Worms) के कारण होती है। ये परजीवी मच्छरों की कुछ प्रजातियों (Wuchereria Bancrofti or Rugia Malayi) और खून चूसने वाले कीटों के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इस बीमारी को फाइलेरिया (Filaria) या फिलेराइसिस (Filariasis) भी कहा जाता है । आगे लेख में इस बीमारी के प्रकार, इसके कारण और इससे संबंधित उपचार के विषय में जानकारी दी गई है।
फाइलेरिया के प्रकार –
फाइलेरिया तीन प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं : लिम्फेटिक फाइलेरिया (Lymphatic filariasis) : यह फाइलेरिया का सबसे आम प्रकार है, जो वुकेरेरिया बैन्क्रॉफ्टी (Wuchereria bancrofti), ब्रुगिया मलाई (Brugia malayi) और ब्रुगिया टीमोरि (Brugia Timori) नामक परजीवियों की वजह से होता है। ये कीड़े लिम्फ नोड्स सहित लसीका प्रणाली (Lymphatic System यानी सर्कुलेटरी सिस्टम का एक अंग) को प्रभावित करते हैं। लिम्फेटिक फाइलेरिया को एलीफेनटायसिस (Elephantiasis) भी कहा जाता है ।
सबक्यूटेनियस फायलेरियासिस (Subcutaneous filariasis) : यह लोआ लोआ (आई वॉर्म), मैनसनैला स्ट्रेप्टोसेरका और ओन्कोसेरका वॉल्वुलस (Onchocerca Volvulus) नामक परजीवियों के कारण हो सकता है। यह त्वचा की निचली परत को प्रभावित करता है। सीरस कैविटी फाइलेरिया (Serous Cavity Filariasis) : यह भी फाइलेरिया के प्रकार की श्रेणी में आता है ।
फाइलेरिया के कारण –
फाइलेरिया का इलाज तब और आसान हो सकता है, जब इसके कारण के बारे में पता लग जाए। अगर फाइलेरिया के कारण की बात की जाए, तो इस बारे में लेख के शुरुआत में बताया गया है कि यह निमेटोड परजीवियों के कारण होता है। ये परजीवी मच्छरों व अन्य रक्त पीने वाले कीटों के जरिए एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में दाखिल हो सकते हैं। नीचे हम उन अन्य कीड़ों के नाम बता रहे हैं, जो फाइलेरिया का कारण बन सकते हैं ।
फाइलेरिया के लक्षण –
फाइलेरिया के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं। बार-बार बुखार आना अंगों, जननांगों और स्तनों में सूजन हाइड्रोसील (Hydrocele – अंडकोष में होने वाली सूजन) त्वचा का एक्सफोलिएट होना हाथों और पैरों में सूजन
फाइलेरिया के जोखिम कारक –
लंबे वक्त से उष्णकटिबंधीय (Tropical) या उपोष्णकटिबन्ध (Sub-Tropical) क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को यह होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।
जो लोग इन जगहों की यात्रा करते हैं, लेकिन उनमें यह जोखिम कम रहता है।
फाइलेरिया का इलाज –
एंटीपैरासिटिक उपचार : जैसा कि आर्टिकल में ऊपर बताया गया है कि निमेटोड कीड़े फाइलेरिया का कारण बनते हैं। ऐसे में इन्हें खत्म करने के लिए एंटी पैरासिटिक उपचार की आवश्यकता हो सकती है। इसमें डॉक्टर मरीज को नीचे बताई गई दवाइयां दे सकते हैं ।
एल्बेंडाजोल (Albendazole)
आइवरमेक्टिन (Ivermectin)
डॉक्सीसायक्लिन (Doxycycline)
डायथिलकारबामैजिन साइट्रेट (DEC-डीईसी)
सर्जरी : कुछ मामलों में फाइलेरिया का इलाज सर्जरी से भी किया जा सकता है। अगर समस्या ज्यादा बढ़ गई है और गंभीर रूप ले चुकी है, तो इन मामलों में डॉक्टर सर्जरी कर सकते हैं। सर्जरी से काफी हद तक सुधार हो सकता है , लेकिन सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा भी हो सकता है । इसलिए, बेहतर है कि शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देकर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
फाइलेरिया से बचने के उपाय –
कई बार जानकारी के अभाव में व्यक्ति बीमारी से अपना बचाव नहीं कर पाता। ऐसे में लेख के इस भाग में हम हाथी पांव से बचाव के कुछ टिप्स पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं शाम के वक्त बाहर या घर में पूरे कपड़े पहनें। सोने से पहले मच्छरदानी लगाएं। घर में मच्छर भगाने वाली लिक्विड दवाओं का उपयोग करें। बीच-बीच में बॉडी चेकअप के लिए भी डॉक्टर के पास जरूर जाएं।
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