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पानी का अधिकतम घनत्व होता है / The maximum density of water is




Question / प्रश्न : - पानी का अधिकतम घनत्व होता है / The maximum density of water is


 

Answer / उत्तर – 4°C पर / At 4°C




In winter, the surface of ponds and lakes often freezes in mountainous areas. In such a situation, what happens to the living beings living in them?

The third week of January has also ended, but it is cold that it is not taking the name of going. Still lucky in the plains of India, but the weather is very cold in the hilly areas. Snow falling from the sky and water accumulated on the ground, humans will somehow overcome the winter season with the help of fire and warm clothes, but what about animals? Have you ever thought that when the water freezes in the cold, then what will happen to the fish and other aquatic creatures living in it? life in frozen water Come, let me give you an interesting piece of information today. When the atmospheric temperature falls below zero degree Celsius during the winter season, the water in ponds, lakes and rivers freezes. This is common for cold mountainous areas, yet the animals living in this frozen water do not die. Now the question arises that how does he survive in the snow? In fact, in lakes, ponds, etc., only the upper surface of the water turns into ice, the water below does not freeze. It remains in the form of liquid [liquid] only. It also contains sufficient amount of oxygen. All animals live comfortably in this liquid water and are saved from dying. density begins to increase When the temperature drops in cold areas during the winter, the water surface of lakes and ponds starts cooling. In this process, when the upper surface temperature drops to 4 °C, its density starts increasing. Simply put, at this temperature the water in the upper layer of lakes and ponds becomes heavy. Due to the heaviness, this water starts sitting down and the water below starts coming up. This process continues until the temperature of the entire water reaches 4 °C.


सर्दियों में पहाड़ी इलाकों में अक्सर जम जाती है तालाबों और झीलों की सतह। ऐसे में क्या होता है इनमें रहने वाले जीवधारियों का जनवरी का तीसरा सप्ताह भी समाप्त हो गया है, लेकिन ठंड है कि जाने का नाम ही नहीं ले रही। भारत के मैदानी इलाकों में तो फिर भी गनीमत है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम बहुत ही ठंडा है..इतना ठंडा कि कई जगह झीलों, नदियों और तालाबों का पानी तक जम गया है। आसमान से गिरती बर्फ और जमीन पर जमा हुआ पानी, इंसान तो किसी तरह आग और गर्म कपड़ों के सहारे सर्दियों का मौसम पार कर लेंगे, लेकिन जानवरों का क्या? क्या कभी सोचा है भोलूराम कि जब ठंड में पानी तक जम जाता है, तब इसमें रहने वाली मछलियों और अन्य जलजीवों का क्या होता होगा? जमे पानी में जिंदगी आओ, आज तुम्हें एक दिलचस्प जानकारी देते हैं। जब सर्दियों के मौसम में वातावरण का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है, तो तालाबों, झीलों और नदियों का पानी जम जाता है। ठंडे पहाड़ी इलाकों के लिए यह आम बात है, फिर भी इस जमे हुए पानी में रहने वाले जीव-जन्तु मरते नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि भला वह बर्फ में जिन्दा कैसे रहते हैं? दरअसल झीलों, तालाबों आदि में पानी की केवल ऊपरी सतह ही जमकर बर्फ में बदलती है, नीचे का पानी नहीं जमता है। यह द्रव [लिक्विड] रूप में ही रहता है। इसमें ऑक्सीजन भी पर्याप्त मात्रा में होती है। सभी जन्तु इस द्रव पानी में आराम से रहते हैं और मरने से बच जाते हैं। बढ़ने लगता है घनत्व जब जाड़े के दिनों में ठंडे इलाकों में तापमान गिरता है तो झीलों और तालाबों के पानी की ऊपरी सतह ठंडी होने लगती है। इस प्रक्रिया में जब ऊपरी सतह का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है तो इसका घनत्व बढ़ने लगता है। सरल भाषा में कहा जाए तो इस तापमान पर झीलों और तालाबों की ऊपरी परत का पानी भारी हो जाता है। भारीपन के कारण यह पानी नीचे की ओर बैठना शुरू हो जाता है और नीचे का पानी ऊपर आने लगता है। यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक कि पूरे पानी का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस नहीं पहुँच जाता।

 






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