Jalikattu is associated with which Indian festival? / जल्लीकट्टू का संबंध किस भारतीय त्योहार से है?
(1) Onam / ओणम
(2) Pongal / पोंगल
(3) Bihu / बिहु
(4) Hornbill / हॉर्नबिल
(SSC CGL Tier-I (CBE) Exam. 01.09.2016)
Answer / उत्तर :-
(2) Pongal / पोंगल
Explanation / व्याख्या :-
जल्लीकट्टू आमतौर पर मट्टू पोंगल दिवस पर पोंगल समारोह के एक भाग के रूप में भारतीय राज्य तमिलनाडु में प्रचलित है। यह एक पारंपरिक तमाशा है जिसमें लोगों की भीड़ में छोड़ा गया एक बैल और कई मानव प्रतिभागी दोनों हाथों से बैल के बड़े कूबड़ को पकड़ने और उस पर लटकने का प्रयास करते हैं, जबकि बैल भागने का प्रयास करता है।
जल्लीकट्टू तमिलनाडु का एक परंपरागत खेल है, जिसमें बैल को काबू में किया जाता है। यह खेल काफी सालों से तमिलनाडु में लोगों द्वारा खेला जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल के नाम से मनाया जाता है। इस खास मौके पर जल्लीकट्टू के अलावा बैल दौड़ का भी काफी जगहों पर आयोजन किया जाता है। जल्लीकट्टू’ एक तमिल शब्द है, जिसकी उत्पत्ति ‘कालीकट्टू’ से हुई है। ‘काली’ का अर्थ कॉइन (Coin) अर्थात सिक्का से है और ‘कट्टू’ का तात्पर्य उपहार स्वरूप (Package) प्रदान किए जाने से है। प्राचीन तमिल परंपरा में लोग ‘सांड़’ की भगवान शिव के वाहन के रूप में पूजा करते हुए और उन्हें गले लगाते हुए उनके सींगों में ‘सोने-चांदी’ के सिक्के पहनाते थे, जिसे तब ‘कालीकट्टू’ और बाद में ‘जल्लीकट्टू’ कहा जाने लगा। जल्लीकट्टू की प्राचीन प्रथा अब खेल एवं मनोरंजन के रूप में परिवर्तित हो चुकी है। कुछ लोगों का मानना है कि प्राचीन काल में महिलाएं अपने वर को चुनने के लिए जलीकट्टू खेल का सहारा लेती थी। जलीकट्टू खेल का आयोजन स्वंयवर की तरह होता था जो कोई भी योद्धा बैल पर काबू पाने में कामयाब होता था महिलाएं उसे अपने वर के रूप में चुनती थी। इस प्रकार से सांड़पर काबू पाना शौर्य का प्रतीक बनाता चला गया और ये खेल साल दर साल जानलेवा होता चला गया। तमिलनाडु में प्रारंभ में यह प्रथा फसलों के पकने के अवसर पर प्रायः जनवरी-फरवरी के महीने में अथवा किसी त्योहार के अवसर पर मंदिरों के सामने संपन्न होती थी और आज भी हो रही है।
खेल की शुरूआत
ऐसा माना जाता रहा है कि है कि सिंधु सभ्यता के वक्त जो अय्यर और यादव लोग तमिल में रहते थे उनके लिए सांड पालना आम बात थी। बाद में यह साहस और बल दिखाने वाली बात बन गई। बाद में बैल को काबू करने वाले को इनाम और सम्मान दिया जाने लगा। किसी सांड को काबू करने की प्रथा लगभग 2,500 साल पुरानी कही जा सकती है।
बुल फाइट से अलग क्यूँ?
कई बार जलीकट्टू के इस खेल की तुलना स्पेन की बुलफाइटिंग से भी की जाती है लेकिन ये खेल स्पेन के खेल से काफी अलग है इसमें बैलों को मारा नहीं जाता और ना ही बैल को काबू करने वाले युवक किसी तरह के हथियार का इस्तेमाल करते हैं।
जानवरों के प्रति हिंसा
संपूर्ण प्रकरण पर अध्ययन करने के बाद ‘एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया’ ने पाया कि ‘जल्लीकट्टू’ प्रथा या ‘बैलगाड़ी-दौड़’ या इसी प्रकार के अन्य आयोजनों में सांड़ों के साथ क्रूरता तथा बर्बरता का व्यवहार किया जाता है और उन्हें अनेक
प्रकार से यातनाएं भी दी जाती हैं।
जल्लीकट्टू और राष्ट्रीय कानून
पशु अत्याचार निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 3 और 11 तथा अन्य संबंधित प्रावधानों को संविधान के अनुच्छेद 15A(g) के साथ संज्ञान में लेते हुए समझा जाना चाहिए जिसके अनुसार जीवित प्राणियों के प्रति सहानुभूति रखना प्रत्येक नागरिक का मूल कर्त्तव्य है। न्यायालय ने पशुओं/वन्य जीवों के जीवन को संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मानव को प्राप्त ‘जीवन एवं दैहिक’ स्वतंत्रता के अधिकार से जोड़ते हुए निर्णीत किया है कि अनुच्छेद 21 के अंतर्गत शब्द ‘जीवन’(Life) को बहुत व्यापक अर्थ प्रदान किया गया है, जिसमें आधारभूत पर्यावरण में वन्य जीव को सम्मिलित करते हुए, जीवन के वे सभी प्रारूप सम्मिलित हैं, जो मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं और उनमें हस्तक्षेप किया जाना अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आता है और पशु भी सम्मान व गरिमा के अधिकारी हैं। पशुओं के अधिकारों की व्याख्या करने में न्यायालय ने 500–600 ईसा पूर्व रचित ईश उपनिषद के इस सूत्र वाक्य को भी आधार बनाया है कि ‘ब्रह्मांड अपने प्राणियों के साथ धरती से संबंधित है और कोई भी प्राणी एक-दूसरे से बड़ा नहीं है। इसलिए किसी भी प्रजाति को अन्य प्रजाति के अधिकारों और विशेषाधिकारों का अतिक्रमण नहीं करना चाहिए’।
ओआईई (OIE : World Health Organization of Animal Health) अंतर्राष्ट्रीय रूप से स्वीकृत पशुओं से संबंधित पांच स्वतंत्रताओं को मान्यता प्रदान करता है।
- भूख, प्यास एवं कुपोषण से स्वतंत्रता
- भय एवं कष्ट से स्वतंत्रता
- शारीरिक एवं ऊष्मीय पीड़ा से स्वतंत्रता
- दर्द, चोट एवं रोग से स्वतंत्रता
- सामान्य आचरण अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता।
जल्लीकट्टू और अंतर्राष्ट्रीय कानून
‘जल्लीकट्टू’ जैसी प्रथा मुख्यतः ‘वन्य-जीवों’ के अधिकारों को प्रभावित करती है, भले ही
उसका ‘प्रारूप’ अलग हो परंतु इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘पशु अत्याचार’ की श्रेणी में माना जाता है। पशु अत्याचार के निवारण के लिए सर्वमान्य किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदा का अभाव है, किंतु वन्य- प्राणियों के वर्ग विशेष पर कुछ अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन संपन्न हुए, जिनमें पक्षियों के संरक्षण के लिए घोषणा (1875), ह्वेल (मछली) के संरक्षण के कन्वेंशन (1931 एवं संशोधित कन्वेंशन 1946), वन्य-प्राणी से संबंधित कन्वेंशन (1990) तथा जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संरक्षण कन्वेंशन (1992) मुख्य हैं। जर्मनी विश्व का संभवतः पहला देश है जिसने वर्ष 2002 में अपने संविधान में मानव के बाद ‘और पशुओं’(and animals) शब्द जोड़कर मानव के साथ-साथ पशुओं को गरिमा (Animal Dignity) को प्रदान करना राज्य का कर्त्तव्य नियत किया है। ब्रिटेन (2006) और ऑस्ट्रिया (2010) ने भी इस विषय पर कानून बनाए हैं।
जानलेवा होता खेल
आंकड़ों के अनुसार 2010 से 2014 के बीच जल्लीकट्टू खेलते हुए 17 लोगों की जान गई थी और 1,100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। वहीं पिछले 20 सालों में जल्लीकट्टू की वजह से मरने वालों की संख्या 200 से भी ज्यादा थी। इस वजह से साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ क्रूअलटी टू एनिमल एक्ट के तहत इस खेल को बैन कर दिया था। जिसकी मांग एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और पीपल फॉर द एथिक्ल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (PETA), कॉमपैशन
अनलिमिटिड प्लस एक्शन (CUPA) ने की थी। उनके साथ पशुओं के अधिकार के लिए बने काफी सारे संगठन भी इसमें शामिल थे।
Jallikattu is typically practised in the Indian state of Tamil Nadu as a part of Pongal celebrations on Mattu Pongal day. It is a traditional spectacle in which a bullis released into a crowd of people and multiple human participants attempt to grab the large hump of the bull with both arms and hang on to it while the bull attempts to escape.
Jallikattu is a traditional game of Tamil Nadu, in which bulls are controlled. This game is played by people in Tamil Nadu for many years. In Tamil Nadu, the festival of Makar Sankranti is celebrated as Pongal. Apart from Jallikattu, bull races are also organized at many places on this special occasion. Jallikattu is a Tamil word, which is derived from ‘Kalikattu’. ‘Kali’ means coin which means coin and ‘Kattu’ means to give as a gift. In the ancient Tamil tradition, people worshiped the ‘bull’ as the vehicle of Lord Shiva and embraced him by wearing ‘gold and silver’ coins in his horns, which then came to be known as ‘kalikattu’ and later ‘jallikattu’. Put. The ancient practice of Jallikattu has now transformed into a form of sport and entertainment. Some people believe that in ancient times, women used to resort to the game of Jallikattu to choose their bridesmaids. The Jallikattu game was organized like a swayamvara, whichever warrior was able to control the bull, the women chose him as their bride. In this way, controlling the bull went on making it a symbol of bravery and this sport became deadly year after year. In Tamil Nadu, this practice was initially performed in front of temples on the occasion of ripening of crops, usually in the month of January-February or on the occasion of any festival and is continuing today.
Start of game
It is believed that the Iyers and Yadavas who lived in Tamil at the time of the Indus Civilization, it was common for them to bear bulls. Later it became a matter of showing courage and strength. Later, the person who controlled the bull was given reward and respect. The practice of controlling a bull can be said to be about 2,500 years old.
Why different from a bullfight?
Many times this sport of Jallikattu is also compared to Spanish bullfighting, but this game is quite different from the Spanish game, in which bulls are not killed nor do the youths who control the bull use any kind of weapon.
violence against animals
The Animal Welfare Board of India, after studying the entire episode, found that the bulls are treated with cruelty and barbarism in the practice of ‘jallikattu’ or ‘bull cart-race’ or other similar events and they have been found in many places.
Tortures are also given in some way.
Jallikattu and National Law
Sections 3 and 11 of the Prevention of Atrocities on Animals Act, 1960 and other related provisions should be understood taking cognizance of Article 15A(g) of the Constitution according to which it is the fundamental duty of every citizen to have sympathy for living beings. The Court, linking the life of animals / wild animals with the right to ‘life and personal liberty’ enjoyed by humans under Article 21 of the Constitution, has decided that under Article 21, the word ‘life’ has been given a very wide meaning. In which, including wild life in the basic environment, all those forms of life which are necessary for human life and interference in them comes under Article 21 and animals are also entitled to respect and dignity. In interpreting the rights of animals, the court has also based on the dictum of the Ish Upanishad, composed 500–600 BC, that ‘the universe is related to the earth with its creatures and no living being is greater than each other’. Therefore no species should encroach on the rights and privileges of other species.
The OIE (OIE: World Health Organization of Animal Health) recognizes five internationally accepted animal rights.
- Freedom from hunger, thirst and malnutrition
- freedom from fear and suffering
- Freedom from physical and thermal pain
- Freedom from pain, injury and disease
- Freedom to express common conduct.
Jallikattu and International Law
Practices like ‘Jallikattu’ mainly affect the rights of ‘wildlife’, even though
Its ‘format’ may be different, but it is considered internationally in the category of ‘animal torture’. There is a lack of any universal covenant for the prevention of animal atrocities, but some international conventions were concluded on specific classes of wild animals, including the Declaration for the Protection of Birds (1875), the Convention for the Protection of Whales (1931 and The main ones are the Revised Convention 1946), the Convention on Wildlife (1990) and the United Nations Environment Protection Convention on Biodiversity (1992). Germany is probably the first country in the world, which in the year 2002 has fixed the duty of the state to provide dignity to humans as well as animals by adding the word ‘and animals’ after human in its constitution. Britain (2006) and Austria (2010) have also enacted laws on the subject.
Deadly game
According to statistics, 17 people died while playing Jallikattu between 2010 and 2014 and more than 1,100 people were injured. At the same time, in the last 20 years, the death toll due to Jallikattu was more than 200. Because of this, in the year 2014, the Supreme Court banned the game under the Prevention of Cruelty to Animals Act. Demanded by the Animal Welfare Board of India and People for the Ethical Treatment of Animals (PETA), Compassion
Unlimited Plus Action (CUPA). Along with them, many organizations formed for animal rights were also involved in this.
No comments:
Post a Comment