'चरण कमल बंदौ हरि राई' , इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है ? (charan kamal bandau hari raee , is pankti mein kaun sa alankaar hai ?) - www.studyandupdates.com

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'चरण कमल बंदौ हरि राई' , इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है ? (charan kamal bandau hari raee , is pankti mein kaun sa alankaar hai ?)

 'चरण कमल बंदौ हरि राई' , इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है ?


  1. उपमा अलंकार
  2. रूपक अलंकार
  3. श्लेष अलंकार
  4. अतिश्योक्ति अलंकार



उत्तर-  रूपक अलंकार



रूपक अलंकार - इसमें उपमेय को उपमान के समान बताया जाता है।" सरल शब्दों में कहें तो जब किसी भी वस्तु (उपमेय) को किसी दूसरी वस्तु (उपमान) के समान बताया जाता है और उनमें कोई अंतर नही राह जाता वहाँ रूपक अलंकार होता है।



चौपाई :- 


चरन कमल बंदौ हरि राई।

जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, आंधर कों सब कछु दरसाई॥

बहिरो सुनै, मूक पुनि बोलै, रंक चले सिर छत्र धराई।

सूरदास स्वामी करुनामय, बार-बार बंदौं तेहि पाई॥


भावार्थ :-- जिस पर श्रीहरि की कृपा हो जाती है, उसके लिए असंभव भी संभव हो जाता है। लूला-लंगड़ा मनुष्य पर्वत को भी लांघ जाता है। अंधे को गुप्त और प्रकट सबकुछ देखने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। बहरा सुनने लगता है। गूंगा बोलने लगता है कंगाल राज-छत्र धारण कर लेता हे। ऐसे करूणामय प्रभु की पद-वन्दना कौन अभागा न करेगा।


शब्दार्थ :-राई= राजा। पंगु = लंगड़ा। लघै =लांघ जाता है, पार कर जाता है। मूक =गूंगा। रंक =निर्धन, गरीब, कंगाल। छत्र धराई = राज-छत्र धारण करके। तेहि = तिनके। पाई =चरण।







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