'चन्दन विष व्यापत नही लपटे रहत भुजंग' , इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
- अतदगुण अलंकार
- रूपक अलंकार
- श्लेष अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
उत्तर- अतदगुण अलंकार
अतदगुण अलंकार :- एक अलंकार जिसमें एक वस्तु का अपने निकट,की वस्तु के गुण को ग्रहण न करना दिखाया जाय।
आजु रन कोप्यौ भी मकुमार।….। बैंठे जदपि जुधिष्ठिर सामे सुनत सिखाई बात। भयौ अतदगुन सूर सरस बढ़ बली बीर बिख्यात। सा, ७४।
जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं, लपटे रहत भुजंग॥
व्याख्या :- रहीम कहते हैं कि जो व्यक्ति अच्छे स्वभाव का होता है,उसे बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती। जैसे ज़हरीले साँप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई ज़हरीला प्रभाव नहीं डाल पाते।
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