"जो रहीम गाति दीप की, कुल कपूत गाति सोय" ,प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
- लाटानुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
उत्तर- श्लेष अलंकार
जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥ - रहीमदास जी कहते हैं कि दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।
जैसे – जो रहीम गति दीप की ,कुल कपूत गति सोय बारे उजियारो करे बढे अंधेरो होई। । उपर्युक्त पद में ‘बारे’ और ‘बढे’ शब्दों में श्लेष है। यहां यह शब्द एक बार आए हैं किंतु इनके अर्थ दो प्रतीत हो रहे हैं। बारे – बचपन में, जलाने पर बढे- उम्र बढ़ने पर , बुझने पर।
No comments:
Post a Comment