"जो रहीम गाति दीप की, कुल कपूत गाति सोय" ,प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है ? ("jo raheem gaati deep kee, kul kapoot gaati soy" ,prastut pankti mein kaun sa alankaar hai?) - www.studyandupdates.com

Tuesday

"जो रहीम गाति दीप की, कुल कपूत गाति सोय" ,प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है ? ("jo raheem gaati deep kee, kul kapoot gaati soy" ,prastut pankti mein kaun sa alankaar hai?)

 "जो रहीम गाति दीप की, कुल कपूत गाति सोय" ,प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

  1. लाटानुप्रास अलंकार
  2. यमक अलंकार
  3. श्लेष अलंकार
  4. वक्रोक्ति अलंकार


उत्तर-  श्लेष अलंकार




जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥ - रहीमदास जी कहते हैं कि दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।



श्लेष अलंकार :- श्लेष का शाब्दिक अर्थ है चिपका हुआ अतः जहां एक शब्द के दो या दो से अधिक अर्थ की जानकारी मिलती हो ,वहां श्लेष अलंकार होता है।

जैसे – जो रहीम गति दीप की ,कुल कपूत गति सोय बारे उजियारो करे बढे अंधेरो होई। । उपर्युक्त पद में ‘बारे’ और ‘बढे’ शब्दों में श्लेष है। यहां यह शब्द एक बार आए हैं किंतु इनके अर्थ दो प्रतीत हो रहे हैं। बारे – बचपन में, जलाने पर बढे- उम्र बढ़ने पर , बुझने पर।










No comments:

Post a Comment

Popular Posts