"कुल कानन कुंडल मोर पखा, उर पे बनमाल विराजति है" , इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है一
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
उत्तर- अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास अलंकार :- अनुप्रास शब्द ‘अनु+प्रास’ इन 2 शब्दों से मिलकर बनता है। यहाँ पर ‘अनु’ शब्द का अर्थ ‘बार-बार‘ तथा ‘प्रास’ शब्द का अर्थ ‘वर्ण‘ होता है। जब किसी वर्ण की बार-बार आवृत्ति होने पर जो चमत्कार होता है, उसे ‘अनुप्रास अलंकार’ कहते है।
'चरर मरर खुल गए अरर रवस्फुटो से' में अनुप्रास अलंकार है।
अलंकरोति इति अलंकार-जो अलंकृत करता है, वही अलंकार है। जहाँ एक शब्द या वर्ण बार-बार आता है वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। अनुप्रास का अर्थ है दोहराना। जहाँ कारण उत्पन्न होता है अर्थात काव्य में जहाँ एक ही अक्षर की आवृत्ति बार-बार होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।
जैसे- रघुपति राघव राजा राम। (र अक्षर की आवृत्ति)।
No comments:
Post a Comment