'फुले काँस सकल माहि छाई जनु बरसा रितु प्रकट बुढाई' , इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है 一
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
- रूपक अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्तर- उत्प्रेक्षा अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकार :- जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए। अथार्त जहाँ पर अप्रस्तुत को प्रस्तुत मान लिया जाए वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इस अलंकार में मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि शब्द आते हैं।
चौपाई :-
'फुले काँस सकल माहि छाई जनु बरसा रितु प्रकट बुढाई' ,
अर्थ :-
गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस में चौपाई में वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए लिखा है 'फूले कास सकल मही छाई, जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई' अर्थात कास नामक घास में फूल आ जाने पर वर्षा ऋतु का बुढ़ापा आने लगता है। अर्थात मानसून के समापन की बेला आ जाती है। चौपाई में वर्णन यह है सकल महि छाई अर्थात चहुं ओर कास फूलने पर वर्षा बूढ़ी होने के संकेत मिलते हैं। वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आने वाली है। प्रकृति से इसके संकेत मिलने लगे हैं। खेतों में घास फूलने लगे है। भारतीय संस्कृति में कास में फूल आने को मानसून की विदाई का संकेत मानती है। इसका जिक्र ग्रंथों में भी है। इस संबंध में वरिष्ठ नागरिक वैद्य चंदन नारायण महलवार ने कहा कि कास में फूल को देखकर ही हमारे पूर्वज वर्षा ऋतु की विदाई मान लेते थे और आनेवाली ठंड से निबटने की तैयारी शुरू कर देते थे। उन्होंने कहा कि जन्माष्टमी तक कास नामक घास में फूल आ जाते है तब यह माना जाता था कि अब बारिश बूढ़ी हो गई है। जिसका अर्थ यह है कि कांस नाम घास में फॅूल आ जाते हेैं तो बारिश बूढ़ी होना प्रतीत हो जाता है। इसी के साथ बारिश के बंद होने के संकेत मिलने लगते हैं। लेकिन अभी कांस कहीं कहीं ही फूले है इससे यह लग रहा है कि अभी बारिश पूरी नहीं हुई है। आने वाले दिनों में अभी बारिश जारी रहना है।
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