"पूत सपूत तो का धन संचय, पूत कपूत तो का धन संचय", प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
- लाटानुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
उत्तर- लाटानुप्रास अलंकार
लाटानुप्रास अलंकार :- किसी शब्द या वाक्यखंड की आवृत्ति दूसरी लाइन में उसी रूप में हो लेकिन दूसरी लाइन में वाक्य का अर्थ बदल जाये उसे लाटानुप्रास अलंकार कहते है।
लाटानुप्रास अलंकारअनुप्रास अलंकार का ही एक भेद है। पहचान :- लाटानुप्रास अलंकार के उदाहरण में लगभग 70% शब्द रिपीट होता है। (दूसरी बार वाक्य का अर्थ बदल जाता है।। लाटानुप्रास अलंकार के उदाहरण 1 पूत कपूत तो क्यों धन संचय, पूत सपूत तो क्यों धन संचय 2. लड़का तो लड़का ही है।
पूत सपूत तो का धन संचय, पूत कपूत तो का धन संचय
- पूत अर्थात् पुत्र किन्तु मैं यहाँ सन्तान अर्थ ग्रहण कर रहा हूँ।सन्तान यदि कुमार्गी हो तो पिता की अर्जित कमाई में आग लगा देगा , उसे स्वाहा कर देगा। फिर पिता के द्वारा अर्जित धन का कोई प्रयोजन नहीं रह जाता।प्रवाईहित नदी में बालुओं से घर बनाने जैसी उसकी गति होगी। पिता के हाथ पाश्चाताप के अतिरिक्त और कुछ हाथ नहीं आयेगा। परन्तु पुत्र यदि संस्कारी हो तो वह अपने परिश्रम के बल पर पुनः सम्पत्ति कमा लेगा। अगर गहराई से सोचें तो पुत्र के शिक्षा - दीक्षा पर होने वाले खर्च की चिन्ता पिता न करे जबकि आरंभिक पंक्ति में पिता के लिये सीख है कि संतान को संस्कारी बनाने का प्रयास करे। दोनों ही स्थितियों में पैसे को पकड़ने का प्रयास न करे।
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