- रूपक
- उत्प्रेक्षा
- उपमा
- यमक
उत्तर - यमक अलंकार
स्वारथ सीता राम सों, परमारथ सिय राम।
तुलसी तेरो दूसरे, द्वार कहा कहु काम॥
भावपक्ष - श्री सीताराम से ही तेरे सब स्वार्थ सिद्ध हो जाएँगे, और श्री सीता राम ही तेरे परमार्थ (परम ध्येय) हैं; तुलसीदास जी कहते हैं कि फिर बतला तेरा दूसरे के दरवाज़े पर क्या काम है?
यमक अलंकार - जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
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