"रावण सर सरोज बनवारी, चली रघुवीर सिली मुख धारी" , इस पंक्ति में कौन सा अलंकार है一
- श्लेष अलंकार
- लाटानुप्रास अलंकार
- वृत्यनुप्रास अलंकार
- उपमा अलंकार
उत्तर- श्लेष अलंकार
श्लेष अलंकार :- श्लेष का शाब्दिक अर्थ है चिपका हुआ अतः जहां एक शब्द के दो या दो से अधिक अर्थ की जानकारी मिलती हो ,वहां श्लेष अलंकार होता है। जैसे – जो रहीम गति दीप की ,कुल कपूत गति सोय बारे उजियारो करे बढे अंधेरो होई। । उपर्युक्त पद में ‘बारे’ और ‘बढे’ शब्दों में श्लेष है। यहां यह शब्द एक बार आए हैं किंतु इनके अर्थ दो प्रतीत हो रहे हैं। बारे – बचपन में, जलाने पर बढे- उम्र बढ़ने पर , बुझने पर।
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