The teaching of Parshvanatha is collectively known as/पार्श्वनाथ की शिक्षा को सामूहिक रूप से जाना जाता है
- Triratna/त्रिरत्न
- Pancha Mahavrata/पंच महाव्रत
- Panchsila/पंचशीला
- Chaturyama/चतुर्यम
Answer / उत्तर :-
Chaturyama/चतुर्यम
Explanation / व्याख्या :-
Parsvanatha was the twenty-third Tirthankara of Jainism. Chaturyama Dharma the ‘fourfold teaching’ of the Parshvanath. Chaturyama dharma, abstention from violence, theft, untruth and acquisitiveness./पार्श्वनाथ जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर थे। चतुर्यम धर्म पार्श्वनाथ की ‘चौगुना शिक्षा’ है। चतुर्यम धर्म, हिंसा, चोरी, असत्य और अर्जन से विरत रहना।
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