Who drew Mahatma Ganghi’s attention towards the exploitation of the peasants by the European Indigo planters? /यूरोपीय नील बागान मालिकों द्वारा किसानों के शोषण की ओर महात्मा गांधी का ध्यान किसने आकर्षित किया? - www.studyandupdates.com

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Who drew Mahatma Ganghi’s attention towards the exploitation of the peasants by the European Indigo planters? /यूरोपीय नील बागान मालिकों द्वारा किसानों के शोषण की ओर महात्मा गांधी का ध्यान किसने आकर्षित किया?

Who drew Mahatma Ganghi’s attention towards the exploitation of the peasants by the European Indigo planters? /यूरोपीय नील बागान मालिकों द्वारा किसानों के शोषण की ओर महात्मा गांधी का ध्यान किसने आकर्षित किया?

  1.  Baba Ram Chandra/बाबा राम चन्द्र
  2.  Raja Kumar Shukla/राजा कुमार शुक्ला
  3.  Swami SahajanandaSaraswati/स्वामी सहजानंदसरस्वती
  4.  Sri Krishna Sinha/श्रीकृष्ण सिन्हा
  5.  None of the above/More than one of the above/उपरोक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक

Answer / उत्तर :-

Raja Kumar Shukla/राजा कुमार शुक्ला

 

 

 

Explanation / व्याख्या :-

ChamparanSatyagarha was started in 1917 and was the M.K Gandhi’s first Satyagraha Movement (first Civil Disobedience Movement). Rajkumar Shukla and RaamLal Shah had invited M.K Gandhi to look after the system of Tinkathiya which means the peasants to grow indigo on 3/20th of the total land. M.K Gandhi was accompanied by Dr. Rajendra Prasad, Brajkishore Prasad, Acharya Kriplani, Dr. Anugrah Narayan Sinha, Mahadeo Desai, C. F. Andrews, H. S. Pollock, Raj Kishore Prasad, Ram Nawami Prasad, ShambhuSharan and Dharnidhar Prasad /चंपारणसत्याग्रह 1917 में शुरू हुआ था और यह एम.के. गांधी का पहला सत्याग्रह आंदोलन (पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन) था। राजकुमार शुक्ला और रामलाल शाह ने तिनकठिया की व्यवस्था की देखभाल के लिए एम.के. गांधी को आमंत्रित किया था, जिसका अर्थ है कि किसानों को कुल भूमि के 3/20वें हिस्से पर नील की खेती करनी होती है। एम.के. गांधी के साथ डॉ. राजेंद्र प्रसाद, ब्रजकिशोर प्रसाद, आचार्य कृपलानी, डॉ. अनुग्रह नारायण सिन्हा, महादेव देसाई, सी.एफ. एंड्रयूज, एच.एस. पोलक, राज किशोर प्रसाद, राम नवमी प्रसाद, शंभुशरण और धरणीधर प्रसाद भी थे।

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