राम स्तुति , Raam stuti
bhaju dinabandhu dinesh danav, daitya-vansh-nikandanam.
raghunand anandakand kaushalachand dasharath-nandanam॥
भावार्थ : हे मन! दीनों के बंधु, सूर्य के समान तेजस्वी, दानव और दैत्यों के वंश का समूल नाश करने वाले, आनन्द-कन्द, कोशल-देशरूपी आकाश में निर्मल चन्द्रमा के समान, दशरथ-नन्दन श्री राम जी का भजन कर...
- इसमें अनुप्रास अलंकार का प्रयोग बेहद खूबसूरती के साथ किया गया है
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