"एहि भांति गौरि असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली।" का भावार्थ होगा ("ehi bhaanti gauri asees suni siy sahit hiy harashee alee." ka bhaavaarth hoga) - - www.studyandupdates.com

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"एहि भांति गौरि असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली।" का भावार्थ होगा ("ehi bhaanti gauri asees suni siy sahit hiy harashee alee." ka bhaavaarth hoga) -

 राम स्तुति , Raam stuti





एहि भांति गौरि असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली।

तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥



shri ramchandra krupalu bhaju man haran bhavabhaya darunam |

navakanj lochan, kanj-mukh, kar-kanj, pad-kanjarunam॥



भावार्थ : इस प्रकार गौरी जी का आशीर्वाद सुनकर जानकी जी सहित समस्त सखियां अत्यन्त हर्षित हो उठती हैं... तुलसीदास जी कहते हैं कि तब सीता जी माता भवानी को बार-बार पूजकर प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चलीं...


- इसमें अनुप्रास अलंकार का प्रयोग बेहद खूबसूरती के साथ किया गया है










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