"इति वदति तुलसीदास शंकर, शेष-मुनि-मन-रंजनम्।" का भावार्थ होगा (iti vadati tulsidas shankar, shesh-muni-man-ranjanam.) - - www.studyandupdates.com

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"इति वदति तुलसीदास शंकर, शेष-मुनि-मन-रंजनम्।" का भावार्थ होगा (iti vadati tulsidas shankar, shesh-muni-man-ranjanam.) -

 राम स्तुति , Raam stuti





इति वदति तुलसीदास शंकर, शेष-मुनि-मन-रंजनम्। मम हृदय-कंज-निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनम्॥


iti vadati tulsidas shankar, shesh-muni-man-ranjanam.

mam hridaya-kanj-nivas kuru, kamadi khal dal ganjanam॥




भावार्थ : जो शिव, शेष और मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले और काम, क्रोध, लोभ आदि शत्रुओं का नाश करने वाले हैं... तुलसीदास प्रार्थना करते हैं कि वह श्री रघुनाथ जी मेरे हृदय-कमल में सदा निवास करें...



- इसमें अनुप्रास अलंकार का प्रयोग बेहद खूबसूरती के साथ किया गया है










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