"कंदर्प अगणित अमित छवि, नवनील-नीरद सुन्दरम्।" का भावार्थ होगा ("kandarp aganit amit chhavi, navaneel-neerad sundaram." ka bhaavaarth hoga) - - www.studyandupdates.com

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"कंदर्प अगणित अमित छवि, नवनील-नीरद सुन्दरम्।" का भावार्थ होगा ("kandarp aganit amit chhavi, navaneel-neerad sundaram." ka bhaavaarth hoga) -

 राम स्तुति , Raam stuti


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कंदर्प अगणित अमित छवि, नवनील-नीरद सुन्दरम्।

पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरम्॥


kandarp aganit amit chhavi, navaneel-neerad sundaram. 

pat peet maanahu tadit ruchi shuchi naumi janak sutaavaram.




भावार्थ : उनके सौंदर्य की छटा अगणित कामदेवों से बढ़कर है, उनके शरीर का नवीन-नील-सजल मेघ समान सुंदर वर्ण (रंग) है, उनका पीताम्बर शरीर में मानो बिजली के समान चमक रहा है, तथा ऐसे पावन रूप जानकीपति श्री राम जी को मैं नमस्कार करता हूं...




- इसमें अनुप्रास अलंकार का प्रयोग बेहद खूबसूरती के साथ किया गया है


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