राम स्तुति , Raam stuti
sir mukut kundal tilak charu udaru ang vibhushanam.
aajanubhuj shar chap dhar, sangramajit kharadushanam॥
भावार्थ : जिनके मस्तक पर रत्नजटित मुकुट, कानों में कुण्डल, भाल पर सुंदर तिलक और प्रत्येक अंग में सुंदर आभूषण सुशोभित हो रहे हैं, जिनकी भुजाएं घुटनों तक लम्बी हैं, जो धनुष-बाण लिए हुए हैं, जिन्होंने संग्राम में खर और दूषण को भी जीत लिया है...
- इसमें अनुप्रास अलंकार का प्रयोग बेहद खूबसूरती के साथ किया गया है
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