राम स्तुति , Raam stuti
soratha: jaani gauri anukool siy hiy harashu na jai kahi.
manjul mangal mool baam ang pharakan lage.
भावार्थ : गौरी जी को अपने अनुकूल जानकर सीता जी को जो हर्ष हुआ, वह अवर्णनीय है... सुंदर मंगलों के मूल उनके बायें अंग फड़कने लगे...
- इसमें अनुप्रास अलंकार का प्रयोग बेहद खूबसूरती के साथ किया गया है
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