" सोरठा: जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।" का भावार्थ होगा (soratha: jaani gauri anukool siy hiy harashu na jai kahi. ) - - www.studyandupdates.com

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" सोरठा: जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।" का भावार्थ होगा (soratha: jaani gauri anukool siy hiy harashu na jai kahi. ) -

 राम स्तुति , Raam stuti





  सोरठा: जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे॥


soratha: jaani gauri anukool siy hiy harashu na jai kahi.

manjul mangal mool baam ang pharakan lage.




भावार्थ : गौरी जी को अपने अनुकूल जानकर सीता जी को जो हर्ष हुआ, वह अवर्णनीय है... सुंदर मंगलों के मूल उनके बायें अंग फड़कने लगे...


- इसमें अनुप्रास अलंकार का प्रयोग बेहद खूबसूरती के साथ किया गया है











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